पानीपत, 26 जुलाई (निस)
पानीपत शुगर मिल में पिछले सीजन में गन्ने की फसल में कीटों व टोप बोरर आदि बीमारियों के चलते चीनी की रिकवरी करीब 8.50 प्रतिशत रही थी। टोप बोरर बीमारी का प्रभाव प्रदेश में सबसे ज्यादा पानीपत जिले में रहा था। उसी के चलते चीनी की रिकवरी प्रभावित हुई थी। अब पानीपत शुगर मिल के एमडी नवदीप सिंह नैन के नेतृत्व में गन्ना स्टाफ की टीम ने अगले सीजन के लिये गन्ने में बीमारी आने से पहले ही उससे रोकथाम को लेकर किसानों को प्रशिक्षित करने का फैसला लिया है। इसी को लेकर गन्ना अनुसंधान केंद्र करनाल के प्रधान वैज्ञानिक कीट शास्त्र डा. एसके पाण्डेय व प्रधान वैज्ञानिक रोग विज्ञान डा. एसएल छाबड़ा ने मंगलवार को पुराने शुगर मिल में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में मिल के गन्ना फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षित किया। इसमें गन्ना वैज्ञानिकों ने बताया कि गन्ने में कब कीट व टोप बोरर आदि बीमारियों होती है और इन बीमारियों को पहचान क्या है। टोप बोरर बीमारी की रोकथाम को लेकर कौन सी दवाईयों का स्प्रे करना चाहिये। शुगर मिल के गन्ना स्टाफ के करीब 26 फील्ड कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया और अब यही फील्ड कर्मचारी गांव-गांव जाकर गन्ना किसानों को जाग्रत करेंगे। मैनेजर करतार सिंह ने बताया कि किसानों को जानकारी देने के लिये जिले को 4 जोनों व 20 सर्कलों में बांटा गया है।
क्वालिटी में सुधार पर जोर : एमडी
पानीपत शुगर मिल के एमडी नवदीप सिंह नैन ने बताया कि अगले सीजन के लिये अभी से गन्ने की क्वालिटी में सुधार करने को लेकर कार्य शुरू कर दिया गया है। क्वालिटी में सुधार करके अगले सीजन के लिये चीनी की रिकवरी का टारगेट 10.50 रखा गया है।