चंडीगढ़, 19 जुलाई (ट्रिन्यू)
बाढ़ग्रस्त जिलों के उन किसानों को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा, जिनकी फसलें जलभराव की वजह से बर्बाद हो गई हैं। 75 प्रतिशत से अधिक नुकसान की स्थिति में सरकार द्वारा किसानों को 15 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। इस बार सभी किसानों को सरकार ही मुआवजा देगी क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अभी किसान अपनी फसलों का इंश्योरेंस करवा ही नहीं पाए थे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को यहां बताया कि अभी तक कृषि विभाग ने 18 हजार के लगभग ऐसी भूमि को चिह्नित किया है, जिसमें फैसले पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं और अब दोबारा बुआई की भी संभावना नहीं है। इस जमीन में पशुओं के हरे चारे के अलावा सब्जियों, कपास, मक्का व दलहन आदि का उत्पादन हुआ था। इन जमीनों से जुड़े किसानों को सरकार 15 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देगी।
कई जिलों में गन्ने की फसलों में भी जलभराव हुआ है। सरकार का मानना है कि पानी से गन्ने को अधिक नुकसान नहीं होगा। जल निकासी भी की जा रही है। इसी तरह से जिन किसानों ने धान की रोपाई की थी, उनके पास 31 जुलाई तक फिर से रोपाई करने का मौका है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इसके बाद भी अगर किसानों की जमीन पर जलभराव की वजह से बुआई नहीं हो पाती है तो सरकार की नीति के तहत उन सभी किसानों को भी मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने स्वीकार किया कि बाढ़ की वजह से खेतों में काफी नुकसान हुआ है। हालांकि अभी इसका आकलन कर पाना आसान नहीं है। इसमें समय लगेगा। वह इसलिए क्योंकि अभी बिजाई का समय चल रहा है। एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि 31 जुलाई के बाद भी अगर पानी नहीं उतरता है तो फिर सर्वे के हिसाब से मुआवजा सभी को मिलेगा। उन्होंने कहा कि पूरा मुआवजा सरकार ही देगी। चूंकि अभी तक किसानों की फसलों का पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा नहीं हुआ था। मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वे मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पर अपनी फसलों का पंजीकरण करवाएं। इस बार सरकार ने पूरी कृषि योग्य भूमि का रजिस्ट्रेशन करवाने का निर्णय लिया है।
हिमाचल सीएम राहत कोष में 5 करोड़ देगा हरियाणा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हरियाणा सरकार बाढ़ राहत के लिए हिमाचल सीएम राहत कोष में 5 करोड़ रुपये की सहायता का योगदान देगी। बुधवार को यहां आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में सीएम ने विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नदियों में बढ़ते खनन की वजह से प्रदेश में बाढ़ की स्थिति पैदा होने के बयान अतार्किक हैं। चूंकि बाढ़ और खनन का कोई संबंध नहीं है।उन्होंने कहा कि खनन योजना के अनुसार नदी तलों में वैध खनन से नदियों की जल ग्रहण क्षमता में वृद्धि हो सकती है और निचले इलाकों में बाढ़ को रोकने में मदद मिल सकती है, क्योंकि खनन प्रक्रिया में अतिरिक्त जमा गाद को हटा दिया जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि नहरों से खनन और अतिरिक्त सिल्ट को हटाया जाना चाहिए ताकि नहरों की तलहटी में उनकी जल क्षमता भी बढ़ सके। इस दौरान सीएम ने कहा कि सरकार की हथिनी कुंड बैराज से 500 मीटर पहले बांध बनाने की योजना है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार से भी बातचीत की जा रही है। बाढ़ बचाव कार्यों से जुड़े सवाल पर सीएम ने कहा कि जनवरी में हुई बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक के दौरान बाढ़ राहत कार्यों से निपटने के लिए 930 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं।