सोनीपत, 19 सितंबर (निस)
दिल्ली की सीमाओं पर रास्ते खोलने को लेकर हाई लेवल कमेटी द्वारा रविवार को बुलाई बैठक से किसान दूर रहे। वहीं, किसानों के धरने से प्रभावित उद्योगपतियों ने बैठक में पहुंचकर अधिकारियों के सामने अपनी परेशानी रखी। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) राजीव अरोड़ा ने कहा कि किसानों द्वारा अवरुद्ध किये गये राष्ट्रीय राजमार्गों को खुलवाने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयास जारी हैं और जरूरत पड़ने पर कमेटी बातचीत के लिए कुंडली-सिंघु बॉर्डर भी जाने को तैयार है।
दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल (डीसीआरयूएसटी) के सभागार में बंद रास्तों को खोलने को लेकर बैठक का आयोजन किया गया। राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष एसीएस राजीव अरोड़ा, पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल, एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) नवदीप सिंह विर्क और हरियाणा सरकार के सचिव डा. बलकार सिंह किसानों से बातचीत करने के लिए सोनीपत पहुंचे थे। बैठक को लेकर सोनीपत प्रशासन द्वारा 43 प्रमुख किसान प्रतिनिधियों को बैठक में बुलाने का न्योता भेजा गया था, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के पहले से तय फैसले के मुताबिक किसान और उनके प्रतिनिधि बैठक में नहीं पहुंचे।
वैकल्पिक मार्गों को करेंगे दुरुस्त
इस दौरान एसीएस राजीव अरोड़ा ने बताया कि सोनीपत में करीब 5 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं जिनमें लगभग साढ़े चार लाख श्रमिक कार्य करते हैं। उद्योगपतियों ने अपने मौलिक अधिकारों के हनन की बात कहते हुए समस्याओं के समाधान की मांग की है। अरोड़ा ने कहा कि उद्योगपतियों ने समस्या के वैकल्पिक समाधान भी प्रस्तुत किये हैं, जिनमें विशेष रूप से कुछ सड़क मार्गों को ठीक करने संबंधी मांग रखी गई है। इनमें प्रमुख तौर पर जठेड़ी रोड, जांटी रोड, लामपुर रोड, सबोली नाथूपुर रोड तथा प्याऊ मनियारी से राष्ट्रीय राजमार्ग तक का शॉर्टकट शामिल है। इस दिशा में तुरंत प्रयासों को गति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक मार्गों की मरम्मत के लिए पूर्ण ब्योरा मांगा गया है। बैठक में रोहतक के कमिश्नर पंकज यादव, सोनीपत के डीसी ललित सिवाच, झज्जर के डीसी श्याम लाल पूनिया, सोनीपत के एसपी जश्नदीप सिंह रंधावा, झज्जर के एसपी राजेश दुग्गल, उद्योगपति धीरज चौधरी, राकेश छाबड़ा, राकेश देवगन, शमशेर शर्मा, नरेश भसीन, राजकमल जिंदल तथा मनोज अरोड़ा मौजूद थे।
50 करोड़ का हो चुका है नुकसान
बैठक में शामिल औद्योगिक इकाइयों के पदाधिकारियों ने जल्द ही समस्याओं के समाधान की मांग की। उद्योगपति धीरज चौधरी, राकेश छाबड़ा व मनोज अरोड़ा ने कहा कि यहां स्थापित करीब 5 हजार इकाइयों का वार्षिक टर्नओवर औसतन एक करोड़ से 100 करोड़ रुपए है, लेकिन मार्ग अवरुद्ध होने के चलते इकाइयों का उत्पादन करीब 30 प्रतिशत घट गया है। उद्योगपतियों का कहना था कि बॉर्डर बंद होने से करीब 50 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है।