सोनीपत, 13 अप्रैल (हप्र)
तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने और एमएसपी पर गारंटी की मांग के लेकर 138 दिन से कुंडली बाॅर्डर पर धरनारत किसानों ने मंगलवार को खालसा पंथ स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान गुरुबाणी के पाठ और अरदास से दिनभर धरने पर माहौल धार्मिक बना रहा। वहीं, हक के लिए आंदोलन कर रहे किसानों ने बैसाखी पर जैसे उमंग और उत्साह की जगह सादगी से यह पर्व मनाया।
मंगलवार को किसानी त्यौहार बैसाखी के पावन अवसर पर सयुंक्त किसान मोर्चा की तरफ से देश के किसानों और आम नागरिकों को शुभकामनाएं दी। मोर्चा ने कहा कि किसान अपनी खुशहाली व लाभदायक जीवन जीने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। खेती घाटे का सौदा बनी हुई है। यही वजह है कि किसानों के घर में त्यौहारों से ज्यादा मातम छाया रहता है। सरकार द्वारा लाये गए तीन खेती कानून भी इस संकट को और भी गहरा करेंगे।
200 लोगों को मिली मेडिकल सेवाएं
संयुक्त मोर्चा ने बताया कि समाजसेवियों द्वारा आसपास के लोगों के लिए मेडिकल सेवाओं का एक सात दिवसीय कैंप ‘सद्भावना मिशन’ आयोजित किया गया है। इस कैंप में कुंडली बाॅर्डर धरने के आसपास के हरियाणा व दिल्ली के करीब 200 लोगों ने यहां मेडिकल सेवाएं प्राप्त की। इस कैम्प में हर प्रकार की ओपीडी से लेकर सर्जन व अन्य प्रकार की सेवाएं विदेशी मशीनों के सहयोग से प्रदान की जा रहा है। लोगों को दवाइयां व अनेक टेस्ट फ्री उपलब्ध हैं और विशेष रूप से आंखों का इलाज किया जा रहा है।
इम्तिहान का आदी है किसान, झुकेगी सरकार
मोर्चा ने कहा कि किसानों की असली बैसाखी तब मनेगी, जब उसकी फसल को वाजिब दाम मिलेगा और कॉरपोरेट शोषण से मुक्ति मिलेगी। मंच से किसान नेताओं ने कहा कि हक की लड़ाई अभी लंबी चलेगी, इसलिए किसानों को सब्र और हिम्मत से काम लेना होगा। उन्होंने कहा कि आज नहीं तो कल केंद्र की सरकार को झुकना पड़ेगा और किसानों की बात सुननी होगी। तब तक किसान भी शांति से बैठे हैं। सरकार इम्तिहान ले रही है और किसान तो पहले दिन से इसका आदी है। वह प्रकृति को रोजाना इम्तिहान देते हैं।