अम्बाला शहर, 18 मार्च (हप्र)
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज जीटी रोड अम्बाला शहर में शंभु टोल प्लाजा पर किसानों ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां फूंक कर अपना रोष व्यक्त किया और सरकार को चेतावनी दी कि कानून रद्द होने तक किसानों का आंदोलन रद्द नहीं होगा। संयुक्त किसान मोर्चा नेता जय सिंह जलबेड़ा, बजिंद्र सिंह कौलां, पम्मी गरनाला, जरनैल सिंह बड़ौला आदि के नेतृत्व में किसानों ने नारेबाजी के बीच कषि कानूनों की प्रतियां आग के हवाले की।
किसानों ने आज जीटी रोड पर स्थित शंभू टोल प्लाजा पर अपना धरना जारी रखा। किसानों ने कहा कि तीनों कृषि कानून किसानों के डेथ वारंट हैं। आने वाले समय में किसान खेती करना छोड़ देंगे तथा अपनी जमीन बेचने पर मजबूर हो जाएंगे। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। महंगाई कई गुना बढ़ जाएगी। सरकार को केवल कारपोरेट घरानों के हितों की चिंता है, धरतीपुत्र की नहीं। किसान अपने अधिकार ही तो मांग रहे हैं। सरकार की नीयत साफ है तो एमएसपी पर कानून बनाये। किसानों की मांग है कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते हैं तब तक वे अपना धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। किसानों ने कहा कि वे कानूनों के वापस लेने से कम कुछ भी मानने को तैयार नहीं है भले ही इसके लिए आंदोलन कितना लंबा भी क्यों नहीं चलाना पड़े।
जय सिंह ने बताया कि आंदोलन हर हाल में कृषि बिल पूर्ण रूप से वापस लिए जाने तक चलता रहेगा। बीच बीच में जैसा संयुक्त संगठन की ओर से निर्देश आता रहेगा वैसे-वैसे शंभू टोल प्लाजा पर रणनीति बनाकर कर पदर्शन जारी रहेगा। सरकार किसानों को दबाने के लिए जितने मर्जी हथकंडे अपना ले लेकिन किसान हरगिज अपनी मांगो से पीछे नहीं हटेंगे।
जोर पकड़ रहा किसान आंदोलन : चित्रा सरवारा
अम्बाला (निस) : हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट की नेता चित्रा सरवारा ने कहा है कि दुनिया में कोई भी चीज ज्यादा चलती है तो मीडिया की हेडलाइन बदल जाती है। लेकिन भारत के किसान इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि करीब 4 महीने से चल रहा किसान आंदोलन दिन-रतिदिन जोर पकड़ रहा है। चित्रा आज दिल्ली में टिकरी बॉर्डर पर किसानों के बीच पहुंची थी। मंच से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन अब उस स्थिति पर पहुंच गया है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। उन्हाेंने कहा कि अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने जिन तीन काले कृषि कानूनों को जबरन किसानों पर थोपा है, उनसे किसानों की फसलें और नस्लें बर्बाद हो जाएंगी। किसानों के साथ साथ व्यापारी, कर्मचारी, युवा वर्ग और महिलाओं को भी इस कारण अनेकों दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी। उन्होंने कहा कि 118 दिन से लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं। 300 से ज्यादा किसान अपनी शहादत दे चुके हैं। लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा और उनकी सहयोगी पार्टियों के नेताओं को कुछ किलाेमीटर चलकर किसानों के पास आने की फुर्सत नहीं है जबकि ये नेता हजारों किलोमीटर की यात्रा कर रोजाना चुनावी सभाओं को संबाेधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को अपना अड़ियल रुख छोड़कर किसानों से बातचीत करनी चाहिए और संवेदनशील तरीके से उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता की आवाज सर्वोपरि होती है।
हिंसात्मक नहीं होना चाहिए किसान आंदोलन : विज
अम्बाला (निस) : गृहमंत्री अनिल विज ने पंजाब के अबोहर से भाजपा विधायक अरुण नारंग के साथ हुई मारपीट की घटना पर कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। विज ने कहा कि किसान आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें अपनी बात कहने का हक है लेकिन दूसरों को भी अपनी बात कहने का हक है। उन्होंने कहा कि आप जोर जबरदस्ती से उनके अधिकारों को छीन नहीं सकते हैं। इसलिए किसान नेताओं को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से ही चले। यह हिंसात्मक नहीं होना चाहिए।