असीम यादव/हप्र
नारनौल, 26 जून
जिले के किसान भारी दुविधा में हैं कि खराब फसलों के मुआवजे के लिए आखिर किससे फरियाद करें। 2022 में खराब हुई खरीफ की फसल का लगभग 10 हजार किसानों का 3 करोड़ रुपये का मुआवजा आज तक उनके खाते में नहीं आया है, जबकि किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर भी अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी। मुआवजे के लिए किसान दर्जनों बार कृषि विभाग के कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं जबकि फसल का बीमा करने वाली कंपनी का तीन साल का टेंडर 31 मार्च, 2023 को समाप्त भी हो चुका है। इस सम्बंध में 21 जून को किसानों ने सांसद धर्मवीर सिंह को ज्ञापन देकर फसलों का मुआवजा शीघ्र दिलवाने की मांग की थी, लेकिन वहां भी किसानों को सिर्फ आश्वासन ही मिला।
उल्लेखनीय है कि जिले में किसानों के साथ कृषि बीमा के नाम पर मजाक किया जा रहा है। किसान दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं। अनेक किसान तो ऐसे हैं जिनकी फसल लगातार कुदरत की मार के चलते नष्ट हो रही है लेकिन उन्हें फसल बीमा योजना के तहत आज तक एक पैसा नहीं मिला। इतना जरूर है कि इनके खातों से बीमे के प्रीमियम की राशि हर वर्ष अपने आप कटती रहती है।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार फिलहाल 2022 में खरीफ फसल के नष्ट होने के चलते लगभग 10 हजार किसानों का 3 करोड़ रुपये का मुआवजा बीमा कम्पनी की तरफ बाकी है, जबकि बीमा कम्पनी का तीन साल का टेंडर 31 मार्च, 2023 को समाप्त भी हो चुका है। 3 जुलाई को नयी बीमा कम्पनी के लिए टेंडर होने हैं।
क्या कहते हैं सांसद
भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मवीर सिंह ने कहा कि खराब फसल के मुआवजे को लेकर किसान उनसे मिले थे। कृषि विभाग के अधिकारियों से बात हुई है, उन्हें बीमा कम्पनी से बात करने को कहा है।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी
कृषि विकास अधिकारी पंकज यादव ने बताया कि बीमा कम्पनी को शीघ्र भुगतान के लिए कहा गया है। अगले एक माह तक किसानों के खाते में भुगतान होने की संभावना है।
क्या कहते हैं किसान
गांव मिर्जापुर बाछोद के किसान धर्मेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड बनवा रखा है। फसल बीमा का प्रीमियम उनके खाते से नियमित रूप से कटता है लेकिन मुआवजा आज तक खाते में नहीं आया। उन्होंने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर भी फसल खराबे की सूचना दर्ज करवा दी। पटवारी ने एपीआर पर उनके हस्ताक्षर भी करवा लिए लेकिन मुआवजा राशि नहीं आई। उन्होंने अन्य किसानों के साथ दो दिन पहले स्थानीय सांसद धर्मवीर सिंह को ज्ञापन भी दिया था। सांसद द्वारा पूछने पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने मामला बीमा कम्पनी पर डालकर हाथ खींच लिए। गांव शहरपुर के किसान हनुमान ने बताया कि कई दिन कृषि विभाग के चक्कर काटने के बाद उन्हें किसी ने टोल फ्री नम्बर पर कॉल करने को कहा। कॉल की तो वहां से उन्हें 10 दिन बाद का समय दिया गया। इसी गांव के किसान कबूल सिंह ने बताया कि कम्पनी ने उनका केस रिजेक्ट कर दिया है। गांव लुजोता के किसान इंद्राज ने बताया कि उनकी सरसों की तीन फसलें खराबे का शिकार हो चुकी हैं, लेकिन आज तक बीमा कंपनी ने खेतों का मुआयना तक नहीं किया। नांगल दर्गू के लीलाराम और राजेश (दोनों भाई) ने कहा कि उनकी सरसों की फसल पिछले तीन साल से पाले और मौसम का शिकार बन रही है, लेकिन बीमा कंपनी ने मौके का मुआयना तक नहीं किया।