किसानों को नहीं मिल रहा समय पर भुगतान : कुमारी सैलजा
उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्ट, श्रमिक और प्रबंधन, हर मोर्चे पर भारी अव्यवस्था व्याप्त है, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता बनी हुई है। भाजपा सरकार के शासन में किसान केवल खोखले वादों और झूठी घोषणाओं का बोझ ढोने को विवश हैं। न उन्हें समय पर भुगतान मिला, न सम्मान। गेहूं की फसल का भुगतान न मिलने से किसान परेशान हैं। चंडीगढ़ से जारी एक बयान में सैलजा ने कहा कि गेहूं खरीद को लेकर जो भी वादे किए थे, वे सारे के सारे धरे रह गए हैं जबकि खरीद का आधा समय निकल चुका है।
अनाज मंडियों में कोई सुविधा तक दिखाई नहीं दे रही है। सरकार दावे कर अपनी ही पीठ थपथपा रही है, इस सरकार में न तो कोई करने वाला है और न ही कोई सुनने वाला है। 72 घंटे में भुगतान का राग अलापने वाली भाजपा सरकार को पता होना चाहिए कि किसानों का उसकी ओर अभी तक 873 करोड़ रुपया अटका हुआ है। भुगतान के लिए भटक रहे किसान को आर्थिक कठिनाई हो रही है। सरकार ने किसानों को उनकी उपज का भुगतान 72 घंटों के भीतर करने का वादा किया था, लेकिन कई किसानों को यह वादा पूरा नहीं हुआ है।
सरकार किसानों से वादाखिलाफी करने के लिए ही वादे करती है। गेहूं और सरसों की फसलों का उठान भी ठीक से नहीं हो रहा है, जिससे किसानों को और परेशानी हो रही है। किसानों की मुख्य चिंता यह है कि उन्हें अपनी फसल का उचित भुगतान नहीं मिल रहा है ऊपर से खरीफ फसलों की बिजाई भी करनी है। अगर भुगतान न हुआ तो बिजाई कैसे होगी। सैलजा ने कहा है कि केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि देशभर के हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत 9 राज्यों में गेहूं की खरीद प्रक्रिया चल रही है। इन राज्यों के 291 जिलों में स्थित मंडियों और खरीद केंद्रों पर किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है।