पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 1 दिसंबर
दिल्ली के सिंघु और हरियाणा में कुंडली बार्डर पर अब आर-पार किसानों का राज हो गया है। स्थिति यह है कि अब जब चाहे किसान दिल्ली में प्रवेश पत्थर हटाकर प्रवेश कर सकते हैं। दिल्ली बुराड़ी से वापस बुलाए गए किसान दिल्ली क्षेत्र में बॉर्डर पार धरना जमाकर बैठ गए हैं। इस धरने की अगुवाई महिला किसान कर रही हैं। ऐसे में केंद्र सरकार सांसत में आ गई है, तो दिल्ली प्रशासन बैकफुट पर है।
यही वजह है कि अब बॉर्डर पर पत्थर के बेरिकेड के इस पार भी और उस पार भी केवल किसान ही बचे हैं। बीच में जो पुलिस का सुरक्षा घेरा था, वह दिल्ली क्षेत्र में धरनारत किसानों के पीछे चला गया है। ऐसे में दोनों ओर से किसान बॉर्डर को घेरे हुए हैं और एक दूसरे का हौसला बढ़ाने के लिए लगातार नारेबाजी करते हैं। युवाओं ने स्लोगन और कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की आवाज बनना शुरू कर दिया है। यह नुक्कड़ नाटक और तख्तियों के जरिये बता रहे हैं कि यह कानून कितने घातक हैं। दोनों ओर किसानों के कब्जे के बाद दिल्ली सिंघु बॉर्डर का नजारा देखते ही बन रहा है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इतना बड़ा आंदोलन और इतनी संख्या के बावजूद धरना पूरी तरह नियंत्रित है। किसान संगठनों के सदस्य इस बात पर निगाह गढ़ाए रहते हैं कि किसी तरह का उपद्रवी कोई तत्व उनके बीच ना आ पाए। अब पुलिस की सुरक्षा दोनों ही छोर पर काफी पीछे हैं। आमने-सामने केवल और केवल किसान ही हैं। ऐसे में शरारती तत्वों का खतरा भी बढ़ गया है। इस बीच फिर से किसानों ने ऐलान कर दिया है कि महीने लगे या साल, समाधान के बिना वह वापस जाने वाले नहीं है। किसानों के प्रतिनिधियों ने दिनभर बैठकें की और आंदोलन की रणनीति पर चर्चा करते रहे।