सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 4 अप्रैल
हरियाणा के कई विभाग यमुना को दूषित कर रहेे हैं। प्रदेश के अधिकांश जिलों में हालांकि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए हैं, लेकिन यह आज से 25 वर्ष पहलेे स्थापित किए गए थे जबकि अब शहरों की आबादी भी बढ़ चुकी है जिसके चलते अधिकांश जिलों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट फेल होकर रह गए हैं। कई जिलों में तो इनकी क्षमता बढ़ाई जा रही है लेकिन वह भी नाकाफी है।
यमुनानगर जिले में ही 80 एमएलडी पानी बिना शुद्ध किए यमुना में गिराया जा रहा है। ये रिपोर्ट हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की है जिसने जिला में 22 अलग-अलग इलाकों से सैंपल लिए थे। यह सभी सैंपल फेल हुए हैं। यमुनानगर के अलावा प्रदेश में यमुना के साथ लगते अधिकांश इलाकों में भी ऐसी ही स्थिति है जहां यमुना में दूषित पानी गिराया जा रहा है। यमुना को दूषित करने में पब्लिक हेल्थ विभाग, नगर निगम, ब्लॉक विकास एवं पंचायत विभाग जिम्मेवार है। वहीं, फैक्टरियों का दूषित जल बिना ट्रीट किये ही यमुना नदी में डाला जा रहा है। इससे जहां वातावरण प्रदूषित हो रहा है वहीं, यह जल जीवों के लिए भी खतरा बन गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कई बार यमुना को दूषित करने वाले विभागों को भी नोटिस दिया लेकिन किसी ने भी यमुना को प्रदूषण से बचाने को कोई उपाय नहीं किये।
डीच ड्रेन में जा रहा इंडस्ट्री का प्रदूषण
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर निर्मल कुमार का कहना है कि यमुनानगर टाउन का, इंडस्ट्री का प्रदूषण डीच ड्रेन में जा रहा है। डीच ड्रेन आगे जाकर रादौर, करनाल सीमा में धनोरा स्केब में मिलता है। धनोरा स्केब से पानी करनाल जिले में यमुना में मिलता है। निर्मल कुमार ने बताया इस समय पब्लिक हेल्थ के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 80 एमएलडी है लेकिन इस समय 70 से 80 एमएलडी पानी बिना शुद्ध किए यमुना में जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी क्षमता बढ़ाएं, अतिरिक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाएं ताकि यमुना में प्रदूषण कम हो।
पहाड़ों में साफ और शुद्ध
यमुना पहाड़ी इलाकों में साफ व शुद्ध नजर आती है लेकिन जैसे ही यह मैदानी इलाकों में पहुंचती है इसमें शहरों का कूड़ा, सीवरेज का गंदा पानी, फैक्टरियोंका जहरीला पानी यमुना में गिराया जाना शुरू हो जाता है। यमुना को दूषित करने में जहां आम लोगों का योगदान है वही सरकारी विभागों का सबसे अधिक योगदान है।
यमुना कैनाल में जा रहा जहरीला पानी
यमुनानगर जिला में हजारों छोटे बड़े कारखाने हैं, जिन का जहरीला व गंदा पानी यमुना और वेस्टर्न यमुना कैनाल में जा रहा है। इसके अलावा यमुना को दूषित होने से बचाने के लिए बनाई गई डीच ड्रेन में भी बिना शुद्ध किए पानी डाला जा रहा है।
नमामि गंगे की तर्ज पर होगा शुद्धीकरण
केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री व अम्बाला के सांसद रतनलाल कटारिया का कहना है कि नमामि गंगे की तर्ज पर यमुना की शुद्धीकरण के लिए भी प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि यमुना के साथ लगते जिला के अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वह बिना शुद्ध किए पानी यमुना में न गिराए। इसके लिए वह अपने अपने इलाकों के प्रोजेक्ट तैयार करके सरकार को भेजें, ताकि यमुना की शुद्धि हो सके।
केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर सक्रिय हुआ बोर्ड
केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने पिछले दिनों यमुनानगर का दौरा कर अधिकारियों की मीटिंग ली थी। उन्होंने यमुना के कई इलाकों का भी दौरा किया था। उनके निर्देशों के बाद हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सक्रिय हुआ और सरकारी विभागों को प्रोजेक्ट बनाकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। यमुना को दूषित करने में पब्लिक हेल्थ विभाग, नगर निगम, ब्लॉक विकास एवं पंचायत अधिकारी मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं जिसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इन्हें कई बार नोटिस दिए जा चुके हैं।