Explainer सिरसा में किसानों पर टूटा आफत का सैलाब : टूटी नहरों से खेतों में घुसा पानी, 2000 एकड़ फसल जलमग्न
अनिल कक्कड़
सिरसा, 8 जुलाई
घग्गर नदी में महज़ 8,000 क्यूसेक पानी बहने के बावजूद सिरसा जिले में तीन दिनों के भीतर दो बड़ी नहरों के टूटने से हड़कंप मच गया है। खेतों में पानी भर जाने से किसानों की करीब 2,000 एकड़ फसलें जलमग्न हो गई हैं। प्रशासन द्वारा बाढ़ से निपटने के दावों की अब जमकर पोल खुल रही है।
गौरतलब है कि घग्गर से निकली कई शाखा नहरों की सफाई और मजबूती पर मनरेगा (MGNREGA) के तहत 4.64 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके बावजूद 3 जुलाई को हुई DISHA कमेटी बैठक में सांसदों और विधायकों ने सिंचाई विभाग की तैयारियों पर सवाल उठाए। बैठक में दिखाई गई तस्वीरों में नहरों के किनारे अब भी झाड़ियां और गाद जमी हुई नजर आई।
तीन दिन, दो नहरें टूटीं, एक की मौत, कई घायल
- कुत्ताबढ़ गांव के पास SGC नहर टूटने से लगभग 500 एकड़ खेतों में पानी भर गया।
- घोतड़-खारिया के बीच GBMS खरीफ चैनल टूटी, जिसमें 1,500 एकड़ फसलें डूब गईं और एक सड़क का हिस्सा भी बह गया।
- हादसे में बाइक सवार दो युवक नहर में बने गड्ढे में गिर गए। एक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल है।
किसानों का आरोप : सतही काम हुआ, असली मरम्मत नहीं
स्थानीय किसान महेंद्र सिंह, राजाराम समेत कई किसानों ने बताया कि नहर किनारों पर केवल ऊपर-ऊपर सफाई की गई। जानवरों की बनाई पुरानी सुरंगनुमा बिलें अब भी बनी हुई हैं। कच्ची मिट्टी के किनारे कमजोर हैं और पानी का रिसाव लगातार जारी है। उनका कहना है कि सरकार ने पैसे तो खर्च किए, मगर ज़मीनी हालात को नजरअंदाज कर दिया।
क्या कहते हैं अधिकारी
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नहरों की कच्ची बनावट और पेड़ों की जड़ें पानी के रिसाव की बड़ी वजह हैं। बीते दो महीनों में सैकड़ों अवैध पाइप हटाए गए, लेकिन मिट्टी को सही ढंग से दोबारा नहीं भरा गया, जिससे किनारे और कमजोर हो गए।
खुद निगरानी कर रहे किसान, प्रशासन अलर्ट मोड में
फिलहाल किसानों ने खुद निगरानी शुरू कर दी है ताकि आगे और नुकसान न हो। सिंचाई विभाग ने टीमें गठित की हैं, और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। फिर भी लोगों का भरोसा टूट चुका है।