पानीपत, 29 मार्च (निस)
पानीपत जिला में ईंटों के करीब 85 भट्ठे हैं और सभी भट्ठों में कोयले का प्रयोग होता है। पिछले वर्ष के मुकाबले कोयले का भाव अब ढाई से तीन गुणा तक बढ़ चुका है, जोकि पानीपत जिला के भट्ठा संचालकों पर भारी पड़ रहा है। पिछले वर्ष ईंट भट्ठों के सीजन के दौरान कांडला बंदरगाह के रास्ते आने वाले यूएसए के कोयले का 8 हजार से लेकर 8400 रुपये प्रति टन का भाव था और इस पर 5 फीसदी जीएसटी के अलावा 2200 से 2300 रुपये प्रति टन का ट्रक का भाड़ा लगता था। कोयले का भाव अब बढ़कर 21 से 25 हजार रुपये प्रति टन हो गया है। कांडला बंदरगाह से पानीपत का किराया भी एक हजार रुपए बढ़कर 3200 से 3300 रुपए प्रति टन हो गया है। ईंटों का भाव पिछले वर्ष 6200 से लेकर 6500 रुपए प्रति हजार था और अब पानीपत जिला में ईंटों का भाव 6600 से लेकर 7000 रुपए चल रहा है। भट्ठा संचालकों का कहना है कि कोयले का भाव ढाई से तीन गुणा बढ़ चुके हैं, इसलिये उनको ईंटों के और ज्यादा भाव बढ़ाने पड़ सकते हैं।
दिल्ली एनसीआर में 4 माह घटा भट्ठों के सीजन का समय
एनजीटी के आदेशों अनुसार पानीपत जिला सहित एनसीआर में प्रदूषण के चलते ईंट भट्ठों के चलने के सीजन का समय कम हो गया है। पानीपत जिला में पहले ईंट भट्ठे अक्तूबर व नवंबर तक चलते थे, लेकिन इस वर्ष 1 मार्च से भट्ठे चले हैं और 30 जून तक ही भट्ठे चल पायेंगे। इससे जिला में ईंटों की प्रोडक्शन कम होने से भी ईंटों का भाव बढ़ेगा।
ईंटों पर 1 अप्रैल से जीएसटी हो जाएगा 12 फीसदी
भट्ठा एसोसिएशन के जिला प्रधान खुशीराम जागलान व पानीपत ब्लाक प्रधान अतुल गुप्ता ने बताया कि इसी 1 अप्रैल से ईंटों पर जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा। ईंटों पर जीएसटी बढ़ने से निश्चित रूप से ईंटों के भाव और ज्यादा बढ़ेंगे और इसका सीधा असर मकान बनाने वाले आम व्यक्ति की जेब पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को ईंटों पर जीएसटी 5 फीसदी ही रखना चाहिए। वहीं भट्ठा संचालक कुलदीप बलाना ने कहा कि केंद्र सरकार को कोयले के भाव पर कंट्रोल रखना चाहिए ताकि उसका ज्यादा भाव नहीं बढ़ सके।