राज्य स्तरीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कारों में उत्कृष्ट संस्थान हुए सम्मानित
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव श्यामल मिश्रा ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण केवल औद्योगिक आवश्यकता नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का लक्ष्य राज्य को ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है। उन्होंने बताया कि राज्य ने 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को स्वच्छ स्रोतों से पूरा करने का लक्ष्य तय किया है।
मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2070 तक ‘नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन’ और 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो वैश्विक जलवायु नेतृत्व का प्रमाण है। वर्तमान में हरियाणा की कुल विद्युत क्षमता 16,227 मेगावॉट है, जिसमें से 38.61 प्रतिशत (6,265 मेगावॉट) ऊर्जा गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त हो रही है।
हरेडा के निदेशक डॉ़ आदित्य दहिया ने बताया कि विभाग ऊर्जा दक्षता को राज्य की जीवनशैली का हिस्सा बनाने के लिए नीतियां लागू कर रहा है। उन्होंने बताया कि जीजीजीआई के साथ एएलसीबीटी परियोजना के तहत हरियाणा में 600 भवनों का डेटा संग्रहित किया गया है, जिनमें से 22 भवनों को ऊर्जा दक्षता सुधार के लिए चुना गया है। बीईई के उप-महानिदेशक अशोक कुमार और वरिष्ठ प्रशासक सुनील गुलाटी ने भी ऊर्जा संरक्षण को सतत विकास की नींव बताया।
उत्कृष्ट प्रदर्शन पर इन्हें मिला सम्मान
औद्योगिक श्रेणी (1 मेगावॉट से अधिक भार) में पहला स्थान पानीपत रिफाइनरी और दूसरा नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, पानीपत को मिला। टाटा कंज्यूमर, रोहतक (1 मेगावॉट से कम) और अभि ऑटोमोटिव, गुरुग्राम (एमएसएमई श्रेणी) को भी सम्मानित किया गया। वाणिज्यिक भवन श्रेणी में एयरटेल सेंटर रोस्ट्रम, गुरुग्राम प्रथम और मेदांता हॉस्पिटल द्वितीय रहा। सरकारी भवनों में नॉर्दर्न रेलवे एक्स्ट्रा डिविजनल हॉस्पिटल, जगाधरी को प्रथम पुरस्कार मिला। शैक्षणिक संस्थानों में मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट, फरीदाबाद और जीवीएम कॉलेज, सोनीपत को शीर्ष स्थान प्राप्त हुए। नवाचार श्रेणी में जिंदल स्टेनलेस, हिसार प्रथम और मारेली मदरसन ऑटोमोटिव लाइटिंग इंडिया, रेवाड़ी द्वितीय रही।
 
 
             
            