सोनीपत, 6 मई (हप्र)
जिले में दो दिन पहले हुई बारिश ने लोगों को गर्मी से कुछ राहत दिलाई, लेकिन यह औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित करीब 10 हजार फैक्टरियों को संजीवनी नहीं दे सकी। भीषण गर्मी में औद्योगिक क्षेत्रों में रात 8 से सुबह 4 बजे तक का मेगा कट लगना शुरू हुआ था। बारिश होने के बाद भी यह कट जारी है। रात में बिजली न होने से फैक्टरियां जेनरेटर पर निर्भर रहती हैं। वहीं दिन में भी लोकल फाल्ट्स की वजह से बिजली की आवाजाही लगी रहती है। इससे उद्योगों में उत्पादन प्रभावित हुआ है। उद्योगपति चिंतित हैं कि बिना बिजली फैक्टरियां कैसे चलाएं। शुक्रवार को कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपतियों ने बैठक कर बिजली संकट पर चर्चा की। जिले में कुंडली, नाथूपुर-सबौली, राई, सोनीपत, मुरथल, बड़ी और फिरोजपुर बांगर औद्योगिक क्षेत्र में छोटी-बड़ी करीब 10 हजार फैक्टरियां हैं। पिछले 15 दिन से जिले में बिजली संकट से हाहाकार मचा है। कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने बताया कि बिजली संकट ने उद्योगपतियों की कमर तोड़ दी है। रात के मेगा कट और दिन में बिजली की आंख-मिचौली से फैक्टरी नहीं चल पा रही। शुक्रवार को कुंडली औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगपतियों अरविंद चौधरी, परवीन कुमार जैन, केके गोयल, नरेश मित्तल, कपिल अग्रवाल और एसके मिगलानी समेत अन्य उद्योगपतियों ने बैठक कर चर्चा की कि इस हालात में फैक्टरियां कैसे चलाएं। उद्योगपतियों ने चिंता जाहिर की कि बिजली संकट से वे बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएंगे। जल्द ही सरकार को इसका हल निकालना होगा।
डीजल पर 50 हजार रोजाना का खर्च
राई स्थित स्माल स्केल इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र गोयल ने बताया कि बिजली संकट उनके गले की फांस बना हुआ है। जेनरेटर से फैक्टरी चलाने पर रोजाना करीब 50 हजार रुपए का डीजल लग रहा है। इससे माल की उत्पादन लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है।
ओवरलोड से अभी निजात नहीं मिली है। बारिश से शहर में एसी-कूलर का लोड बेशक कम हुआ था लेकिन अब वह पहले वाली स्थिति में पहुंच गया है। औद्योगिक क्षेत्रों में रात के कट के अलावा कोई कट नहीं लगाया जाता। दिन में लोकल फाल्ट की वजह से बिजली जाती है, उसे तुरंत चालू कर दिया जाता है।
-संदीप जैन, एसई, बिजली निगम, सोनीपत