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पांचवें दिन भी पोस्टमार्टम नहीं, सरकार कर रही परिवार को मनाने की कोशिश

एडीजीपी वाई पूरन कुमार आत्महत्या केस

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Krishan Lal Panwar Cabinet Minister Haryana arriving to IPS officer Y Puran Kumar's residence at Sector 24 in Chandigarh on Saturday. Tribune photo: Ravi Kumar
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हरियाणा के एडीजीपी वाई. पूरन कुमार के आत्महत्या मामले ने राज्य सरकार के समक्ष मुिश्कल खड़ी कर दी है। घटना के पांच दिन बाद भी दिवंगत आईपीएस के शव का न तो पोस्टमार्टम और न ही अंतिम संस्कार हो सका, जिससे प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही हलकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने दो कैबिनेट मंत्रियों कृष्ण लाल पंवार और कृष्ण कुमार बेदी को व्यक्तिगत रूप से परिवार को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।

शनिवार को दोनों मंत्री चंडीगढ़ स्थित वाई पूरन कुमार के आवास पर दिनभर मौजूद रहे और उनकी पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार से कई दौर की बातचीत की। मंत्रियों ने परिवार को सरकार की ओर से न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया, लेकिन देर शाम तक भी कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस संवेदनशील प्रकरण को लेकर मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, गृह सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा और मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर को लगातार अपडेट लेने के निर्देश दिए हैं। इस बीच वरिष्ठ मंत्री अनिल विज भी परिवार से मिलने पहुंचे और अमनीत पी. कुमार को सांत्वना दी। विज ने परिवार को भरोसा दिलाया कि सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और परिवार के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।

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दलित मंत्रियों की सक्रियता

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दिवंगत आईपीएस वाई पूरन कुमार अनुसूचित जाति से आते थे, इसलिए सरकार ने दलित समुदाय से जुड़े नेताओं को आगे किया है। कृष्ण लाल पंवार (अनुसूचित जाति) और कृष्ण कुमार बेदी (वाल्मीकि समाज) को परिवार के पास भेजकर सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे को केवल प्रशासनिक नहीं, सामाजिक संवेदनशीलता के साथ देख रही है। दोनों मंत्रियों ने कहा कि यह मामला असामान्य है, हर पहलू से जांच चल रही है। परिवार को बिना सहमति कुछ भी नहीं किया जाएगा।

सरकार पर बढ़ता दबाव, परिवार अब भी अडिग

वाई. पूरन कुमार के शव को लेकर अब प्रशासनिक असहजता बढ़ गई है। पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन परिवार पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं। इस बीच दलित अधिकारियों और संगठनों ने भी न्याय की मांग तेज कर दी है। कई अधिकारी मानते हैं कि न्याय की लड़ाई संस्कार के बाद भी जारी रह सकती है, लेकिन सरकार को संवेदनशील रुख अपनाना होगा।

राजनीतिक समीकरण भी सक्रिय : पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और रामबिलास शर्मा ने भी परिवार से संपर्क कर भरोसा दिलाया है कि सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी। वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बडौली ने कहा कि “वाई पूरन कुमार की आत्महत्या एक असाधारण घटना है, सरकार हर पहलू की निष्पक्ष जांच कराएगी।”

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