चंडीगढ़, 8 सितंबर (ट्रिन्यू)
खट्टर सरकार ने एक आदेश जारी कर प्रदेश में डाॅक्टरों को सेवानिवृत्ति के बाद कंसलटेंट के रूप में भर्ती करने का फैसला किया है। प्रदेश में अब डाॅक्टर 65 वर्ष की आयु तक नौकरी पर रहेंगे। सरकार का यह फैसला डेंटल सर्जनों पर भी लागू होगा। जिससे नौकरी की आस लगाए बैठे हजारों डेंटल सर्जनों को धक्का लगा है। इस फैसले से डेंटल सर्जनों में रोष है।
हरियाणा में डाक्टरों की कमी लंबे समय से बनी हुई है। हालही में सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया था कि प्रदेश में इस समय भी डाक्टरों के विभिन्न काडरों में 980 पद खाली हैं। केंद्र सरकार द्वारा डाक्टरों को सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति देने के बाद हरियाणा ने भी यह नियम लागू कर दिया है। बुधवार को सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, अब 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने के बाद डाक्टरों को 65 वर्ष की आयु तक दोबारा नियुक्ति दी जाएगी। सेवानिवृत्ति के बाद डाक्टरों को कंसलटेंट और स्पेशल कंसलटेंट के पदों पर नियुक्ति दी जाएगी। नए सिरे से तैनाती के बाद डाक्टरों को सेवानिवृत्ति के दिन मिलने वाला अंतिम वेतन दिया जाएगा। सरकार ने डेंटल सर्जनों को भी पुर्ननियुक्ति दी है। डेंटल सर्जनों के लिए आयु सीमा 64 साल रखी गई है। सरकार के इस फैसले को अभी लागू किया जाएगा, लेकिन निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले डेंटल सर्जनों में इस फैसले से रोष है। सरकारी अस्पतालों में 625 डेंटल सर्जन हैं, जबकि निजी क्षेत्र में नाममात्र वेतन पर हजारों डेंटल सर्जन काम का रहे हैं। ऐसे में नौकरी की आस लगाए बैठे डेंटल सर्जनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।