कर्मचारियों को यूपीएस मंजूर नहीं, ओपीएस लेकर रहेंगे : धारीवाल
राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर मंगलवार को पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में देशभर के हजारों कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) बहाली की मांग की गई।
देश के कोने-कोने से आए कर्मचारी हाथों में तिरंगा झंडा, बैनर और तख्तियां लेकर पहुंचे थे। महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही, जहां कई मातृशक्तियां अपने छोटे बच्चों के साथ धरने पर डटी रहीं। प्रदर्शनकारियों ने सिर पर टोपी पहनकर और हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल ने भीड़ को संबोधित करते हुए सरकार से दो टूक कहा कि कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा, संघर्ष का ही परिणाम है कि राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश जैसे चार राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल हुई। 1 अक्तूबर 2023 को रामलीला मैदान में हुई ऐतिहासिक रैली ने केंद्र सरकार को एनपीएस से पीछे हटकर यूपीएस लाने पर मजबूर किया, लेकिन हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक हूबहू पुरानी पेंशन (ओपीएस) बहाल नहीं हो जाती। धारीवाल ने पैरामिलिट्री जवानों समेत सभी कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा की वकालत की।
पैसा वापस मांगे राज्य : राष्ट्रीय प्रभारी प्रदीप ठाकुर ने मांग उठाई कि जिन राज्यों में ओपीएस बहाल हो चुकी है, वहां के कर्मचारियों का पीएफआरडीए के पास जमा एनपीएस का पैसा केंद्र सरकार तुरंत वापस करे। उन्होंने संकल्प दोहराया कि एनएमओपीएस का अंतिम सांस तक संघर्षरत रहेगा।
देशभर से जुटे दिग्गज नेता
प्रदर्शन में राष्ट्रीय नेता रामानुजय पलेला, वितेश खांडेकर, शांताराम तेजा, परमानंद डहेरिया, भारत शर्मा, राष्ट्रीय संयोजक डिफेंस प्रेमसागर, दानिश इमरान, प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली मनजीत राणा, कोजाराम सियाग, रेलवे से सर्वजीत सिंह, प्रदेश अध्यक्ष जम्मू कश्मीर शेख अशरफ़, प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड जीतमणि पैन्यूली, प्रदेश अध्यक्ष ओडिशा विजय मल्ल, गुजरात से पंकज सोलंकी, तमिलनाडु से अयोग्य दास सिलवा, कर्नाटक से संगना कुमार, पैरामिलिट्री फोर्स के रणवीर सिंह समेत मध्य प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और सिक्किम समेत कई प्रदेशों के अध्यक्ष, महासचिव और सहयोगी संगठनों के पदाधिकारीगण मौजूद रहे।
97 फीसदी कर्मचारियों ने नकारा
संगठन के महासचिव ऋषि नैन ने कहा कि देशभर के कर्मचारियों में एनपीएस और यूपीएस को लेकर भारी आक्रोश है। उन्होंने बताया कि विरोध के चलते ही देश के लगभग 97फीसदी कर्मचारियों ने अब तक यूपीएस का फॉर्म नहीं भरा है, जो सरकार की नई नीति के प्रति उनकी अस्वीकृति को दर्शाता है। नैन ने ओपीएस को कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा बताया। वहीं, सवाल उठाया कि जब सांसद और विधायक एक से अधिक पेंशन ले सकते हैं, तो जीवन भर सेवा देने वाले शिक्षक और कर्मचारियों को इससे वंचित क्यों रखा जा रहा है? रेलवे से जुड़े राष्ट्रीय संयोजक अमरीक सिंह ने रेलवे में निजीकरण को तत्काल रोकने की मांग की।
