चंडीगढ़, 14 दिसंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा के कर्मचारी नेताओं और सरकार के बीच मंगलवार को चंडीगढ़ में हुई वार्ता बेनतीजा रही। बेशक, कई मांगों पर सरकार सहमत दिखी, लेकिन कोई नीतिगत फैसला नहीं हो सका। 12 दिसंबर को कर्मचारियों द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में किए गए ‘हल्ला बोल’ प्रदर्शन के बाद सरकार ने कर्मचारी नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था। मंगलवार को चंडीगढ़ में सीएम के प्रधान सचिव वी़ उमाशंकर के साथ कर्मचारी नेताओं की बैठक हुई।
तीन घंटे से भी अधिक देर तक चली इस बैठक के दौरान कर्मचारी नेताओं ने 24 से अधिक मांगों पर अपनी बात रखी। बैठक के बाद कर्मचारियों ने अपना आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया। आंदोलन की अगली रूपरेखा तय करने के लिए फरवरी में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। मंगलवार को हुई बैठक में इस तरह के संकेत भी मिले कि सरकार के स्तर पर कर्मचारियों की मांगों को लेकर फिर से वार्ता संभव है।
बैठक में सरकार की ओर से सीएम के प्रधान सचिव वी़ उमाशंकर के अलावा प्रशासनिक विभाग के आयुक्त एवं सचिव बिजेन्द्रा कुमार, सामान्य प्रशासन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पंकज अग्रवाल सहित कई विभागों के अधिकारी तथा सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री,उप प्रधान शीलक राम, कैशियर राजेन्द्र बाटू, प्रेस साचिव इंद्र सिंह बधाना, आल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्करज यूनियन के राज्य प्रधान सुरेश राठी व आल हरियाणा यूनिवर्सटी इम्प्लाइज फेडरेशन के चेयरमैन दया राम सोनी मौजूद रहे।
इन मांगों को लेकर हुई चर्चा
नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों व शिक्षकों को बहाल करने, कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, पक्का होने तक समान काम-समान वेतन फार्मूला लागू करने व सेवा सुरक्षा प्रदान करने की मांग उठाई। न्यू पेंशन स्कीम को खत्म करके पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग की। जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती तब तक सरकारी अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर चौदह प्रतिशत करने का मुद्दा बैठक में उठा। 25 अगस्त, 2014 को कैबिनेट में लिए फैसले अनुसार लिपिक को 35400 रुपए वेतनमान व सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर पेंशन बढ़ोतेरी करने, वर्कलोड अनुसार नये पद स्वीकृत कर नई नियमित भर्ती करने, विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बहाल करने इत्यादि नीतिगत मांगें मुख्यमंत्री के प्रधान साचिव के समक्ष तर्कों व प्रमाणों के साथ रखी। प्रधान साचिव ने इन सभी पर विचार करने की बात कही और एसकेएस ने मांगों के लागू होने तक आंदोलन को जारी रखने के साथ हड़ताल तक पर जाने की चेतावनी दी।