सुनील दीक्षित/निस
कनीना, 20 अप्रैल
बाबा लालगिरी आश्रम के निकट बनाये गये स्वर्ग आश्रम में इलेक्ट्रिक शवदाह मशीन स्थापित की गई है। इस मशीन के चालू होने से पर्यावरण प्रदूषण पर कंट्रोल हुआ है। मशीन से करीब 25 फुट ऊपर चिमनी लगी है जिससे धुआं निकल जाता है। कोरोनाकाल में जहां शमशान घाटों में शवों के अंतिम संस्कार के लिये लाइन लगी हुई थी। ऐसी स्थिति से निपटने के लिये नगरपालिका कनीना में पूरे इंतजामात किये गये थे। शवदाह के लिये तीन एलपीजी सिलेंडर जरूरी होते हैं जिनसे गैस का प्रेशर बनता है। करीब घंटेभर में शव सुपुर्द-ए-खाक हो जाता है। करीब दो सिलेंडर की गैस इस्तेमाल होती है।
इस स्वर्गाश्रम की देखरेख नगरपालिका प्रशासन व समाज सेवी सदस्यों द्वारा की जा रही है। चेयरमैन सतीश जेलदार ने बताया कि नपा की ओर से यहां पर बीते समय 16 लाख रुपये की लागत से इलेक्ट्रिक शवदाह मशीन स्थापित की गई थी। जिसे इंस्टॉल करने के बाद बहुत से उपकरण वहां रखे गये थे। खुले में रखे गये तांबे-पीतल व लोहे के उपकरणोंं को चोर चुरा ले गये थे जिससे मशीन का कार्य बाधित हो गया था। मशीन के उपकरणोंं को सुरक्षित रखने तथा उसे लगातार चालू रखने के लिये नपा की ओर से कमरे का निर्माण कराया गया है। जिसमें मशीन से जुड़े उपकरण रखेे गये हैं। आमजन की सुविधा के लिये गेट के समीप टॉयलेट भी बनाये गये हैं।
शमशान घाट में समुचित मात्रा में लकड़ियों का स्टॉक किया गया है। वहीं इलेक्ट्रिक शवदाह मशीन से शव का अंतिम संस्कार किया जाने लगा है। इस मशीन में डिजीटल माध्यम से शव का अंतिम संस्कार होते देखा जा सकता है। इसका संचालन बिजली एवं गैस सिलेंडर से किया जाता है। मशीन के हिट होने पर शव देखते-देखते राख हो जाता है। मशीन से शव जलाने पर लकड़ियों की बचत होती है तथा पर्यावरण प्रदूषण कम होता है। एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक मशीन सर्वाधिक कारगर उपाय है।
जल्द ही लगेगी शिवजी की प्रतिमा
नगर पार्षद मुकेश रोकी ने बताया कि शमशान घाट में जल्द ही महाकाल शिवजी की प्रतिमा स्थापित की जायेगी। लगातार बढ़ती महंगाई को लेकर एक तरफ गरीब आदमी के सामने मुर्दे का दाह संस्कार करना कठिन हाता जा रहा था। इलेक्ट्रिक शवदाह मशीन से उन्हें कुछ हद तक राहत मिली है। नपा की ओर से शव के दाह संस्कार के समय कोई चार्ज नहीं लिया जाता।