चंडीगढ़, 6 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों के बाद अब पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों का डंका बज सकता है। राज्य चुनाव आयोग की ओर से पंचायत चुनावों को लेकर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया है। इसमें सरकार को कहा गया है कि वार्डबंदी और अनुसूचित जाति व महिलाओं आदि के लिए आरक्षित वार्डों का ड्रा करके आयोग को रिपोर्ट भेजें।
चुनाव आयोग की कोशिश है कि पंचायती राज संस्थाओं जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायतों के चुनाव सितंबर के आखिर तक करवा लिए जाएं। हरियाणा में 22 जिला परिषद, 143 पंचायत समिति और 6228 के लगभग ग्राम पंचायतों के चुनाव होने हैं। इनका कार्यकाल पिछले साल फरवरी में पूरा हो चुका। करीब सोलह महीनों से पंचायती राज संस्थाएं प्रशासकों के हवाले हैं। ग्राम पंचायतों की संख्या कम-ज्यादा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने सिसाय और बांस ग्राम पंचायत में साथ लगते गांवों को मिलाकर नगर पालिका का दर्जा दिया था। बाद में ग्रामीणों के विरोध पर दोनों पालिकाओं का नोटिफिकेशन जारी करके उन्हें फिर से ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया। इसी तरह से सरकार हेली मंडी को नगर पालिका बनाने का ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है। इसमें भी कुछ ग्राम पंचायतों को मिलाया जाना है।
इसी के चलते आयोग ने सरकार को पत्र लिखकर जल्द से जल्द वार्डबंदी का काम पूरा करवाने को कहा है। साथ ही, पंचायती राज संस्थाओं में विभिन्न पदों के आरक्षण के लिए भी ड्रा करवाने को कहा है, ताकि चुनाव आयोग उसके हिसाब से चुनावों की तैयारियों को आगे बढ़ा सके। आयोग ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का भी उल्लेख अपने पत्र में किया है। पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई के अपने आदेश में साफ कहा है कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव कार्यकाल पूरा होने के छह महीने के अंदर-अंदर करवाए जाएं। इनमें किसी तरह की देरी न हो। यहां बता दें कि हरियाणा में शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव भी करीब एक साल की देरी से हुए। पहले कोविड-19 की वजह से पंचायतों के चुनाव नहीं करवाए गए और बाद में मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चला गया। आयोग ने पत्र में कहा है कि अब न तो संक्रमण है और न ही किसी तरह का कोई केस कोर्ट में लंबित है।
जिला परिषद चेयरमैन चुनाव सीधे नहीं
पिछले कई दिनों से इस तरह की खबरें भी चल रही हैं कि गठबंधन सरकार ने जिला परिषद चेयरमैन का डायरेक्ट चुनाव करवाने का निर्णय लिया है। आयोग ने इन खबरों को खारिज करते हुए कहा है कि ये चुनाव पहले की तरह होंगे। वार्ड सदस्यों द्वारा ही चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन को चुना जाएगा। जिला परिषद के चेयरमैन का चुनाव डायरेक्ट करवाने के लिए सरकार को पहले कानून में बदलाव करना होगा। ऐसा अभी तक कुछ हुआ नहीं है और न ही इसकी कोई संभावना है।
सरकार को पत्र लिखकर कहा गया है कि वार्डबंदी का काम जल्द पूरा किया जाए। साथ ही, अनुसूचित जाति व महिलाओं आदि के लिए आरक्षण का फैसला भी ड्रा के जरिये किया जाए। सरकार को जवाब आने के बाद चुनाव आयोग आगे का कार्यक्रम तय करेगा। हम चाहते हैं कि 30 सितंबर से पहले पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव करवा लिए जाएं।
-धनपत सिंह, राज्य चुनाव आयुक्त