चंडीगढ़, 9 फरवरी (ट्रिन्यू)
पंचायती राज संस्थाओं, जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायतों में विकास कार्य ई-टेंडरिंग के जरिये ही होंगे। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी सरकार के स्टैंड पर मुहर लगा दी है। कुछ सरपंचों ने ई-टेंडरिंग को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने स्टे देने से इनकार कर दिया है।
विकास कार्यों में पारदर्शिता के उद्देश्य से विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने ई-टेंडरिंग का फार्मूला बनाया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रस्ताव से सहमत हुए तो इसे आगे बढ़ाया गया। अब सरपंच गांव में कोटेशन के आधार पर दो लाख रुपये तक के विकास कार्य करवा सकते हैं। हालांकि इससे अधिक के कार्यों में भी स्वीकृति पंचायत प्रतिनिधियों की ही होगी। इतना ही नहीं, अब विकास कार्यों से जुड़ी फाइलें चंडीगढ़ तक भी नहीं आएंगी। इन्हें स्थानीय स्तर पर ही मंजूर किया जा सकेगा। तकनीकी स्वीकृति अलग-अलग अधिकारियों के स्तर पर होगी, लेकिन ग्राम पंचायत में प्रशासनिक स्वीकृति सरपंच, ब्लाक में पंचायत समिति और जिले में जिला परिषद के प्रतिनिधियों द्वारा दी जाएगी।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि गांव में विकास कार्यों में तेजी लाने व पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू की गई ई-टेंडरिंग व्यवस्था जारी रहेगी। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, ‘स्टे देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने माना है कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई यह व्यवस्था पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम है।’ प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में गांवों के विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है।
दी गयी है अधिक स्वायत्तता
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पंचायती राज संस्थाओं को और अधिक स्वायत्तता प्रदान करते हुए उनकी शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया है। अब पंचायती राज संस्थाएं अपने फंड व ग्रांट से काम करवा सकती हैं। कहा जा रहा है कि इस फैसले से न केवल कार्यों में तेजी आएगी बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी और ग्रामीणों को भी विकास कार्यों की जानकारी मिलती रहेगी। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के लिए 1100 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इसमें से 850 करोड़ केवल पंचायतों को दिया गया है। नयी पंचायतों द्वारा प्रस्ताव पारित कर विकास कार्य भी शुरू करवा दिए गए हैं।