दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 जून
हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के रिश्तों में फिर से ‘मिठास’ घोलने की कवायद चली हुई है। दोनों ही पार्टियों के नेता पिछले दिन हुए घटनाक्रम पर ‘मिट्टी’ डालने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। एक बार फिर यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि दोनों पार्टियां साथ हैं और मिलकर ही सरकार चलाएंगी। पिछले दिनों निकाय चुनावों को लेकर हुए घटनाक्रम के बाद से दोनों दलों के नेताओं के बीच ‘दूरियां’ बढ़ती दिख रही थीं।
दरअसल, भाजपा ने खुद से ही पहल करते हुए निकायों के चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान कर दिया था। यानी एक तरह से जजपा को खुद से दूर कर लिया था। राज्य के राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में भी इसका अच्छा संदेश नहीं गया। बाद में भाजपा ने खुद के ही फैसले पर यूटर्न लेते हुए निकाय चुनावों में जजपा को साथ चलने का निर्णय लिया। बहरहाल, दोनों पार्टियां मिलकर ही निकायों के चुनाव लड़ रही हैं लेकिन बढ़ी दूरियों को भी अब पाटने की कोशिश हो रही है।
इस कवायद के बीच सोमवार को भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी विनोद तावड़े ने चंडीगढ़ में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मुलाकात की। तावड़े, दुष्यंत के सरकारी आवास पर ही पहुंचे। करीब पौना घंटा दोनों नेताओं की बंद कमरे में बातचीत हुई। माना जा रहा है कि इस दौरान दुष्यंत ने निकाय चुनावों को लेकर भाजपा द्वारा लिए गए फैसले पर नाराजगी भी जताई। यह फैसला भाजपा ने दुष्यंत की गैर-मौजूदगी में लिया था। दुष्यंत उस समय विदेश थे।
विदेश से लौटते ही उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। बताते हैं कि हरियाणा इकाई के इस फैसले पर केंद्रीय नेतृत्व ने भी असहमति जताई थी। दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व एनडीए को लेकर किसी तरह का गलत संदेश देने के मूड में नहीं है। भाजपा और जजपा द्वारा मिलकर निकाय चुनाव लड़ने का फैसला भी विनोद तावड़े की मौजूदगी में हुई बैठक में ही हुआ था। बताते हैं कि पिछले दिनों तावड़े इसी काम के चलते नई दिल्ली से चंडीगढ़ पहुंचे थे।
सूत्रों की मानें तो दुष्यंत ने तावड़े के सामने पूर्व में हुए चुनावों का मुद्दा भी उठाया। दिसंबर-2020 में भी तीन नगर निगमों पंचकूला, अम्बाला शहर व सोनीपत, रेवाड़ी नगर परिषद व तीन पालिकाओं – सांपला, धारूहेड़ा व उकलाना के चुनाव भी गठबंधन ने मिलकर लड़े थे। बरोदा व ऐलनाबाद हलके में हुए उपचुनाव भी दोनों पार्टियों ने मिलकर ही लड़े थे।
मिलकर चलना दोनों की ‘मजबूरी’ : भाजपा से जुड़े नेता भी यह मानते हैं कि दोनों पार्टियांें का मिलकर चलना जरूरी के साथ ‘मजबूरी’ भी है। भाजपा अल्पमत में है और दुष्यंत के 10 विधायकों के समर्थन से सरकार चल रही है। सात निर्दलीय भी हैं। ऐसे में सरकार निर्दलीयों के सहारे भी चल सकती है, लेकिन दबाव और भी बढ़ सकता है। दुष्यंत के अलग होने की स्थिति में सरकार पर ‘संकट’ भी आ सकता है।
नाराज थे जजपा नेता, अब स्थिति सामान्य
जजपा के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि भाजपा द्वारा निकायों के चुनाव अकेले लड़ने के फैसले से दुष्यंत काफी नाराज़ थे। उन्हें दुख इस बात का भी था कि भाजपा ने एकतरफा फैसला लिया। सहयोगी दल को विश्वास में लेकर अगर कदम उठाया जाता तो कोई परेशानी भी नहीं होती। भाजपा नेताओं से मुलाकात के दौरान भी दुष्यंत अपनी नाराज़गी प्रकट कर रहे हैं। बताते हैं कि अब स्थिति फिर से सामान्य हो रही है।
राज्यसभा चुनावों पर भी मंथन
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। भाजपा ने पहली सीट के लिए पूर्व मंत्री कृष्णलाल पंवार को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस से अजय माकन उम्मीदवार हैं। जजपा के समर्थन से पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने दूसरी सीट के लिए दावा ठोक दिया है। ऐसे में समीकरण बिगड़े हुए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान दुष्यंत ने राज्यसभा चुनावों को लेकर भी मंथन किया।