दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 27 अप्रैल
हरियाणा कांग्रेस में हुए बदलाव के बाद यह तय हो गया है कि दिल्ली दरबार ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्य का सबसे ‘प्रभावशाली’ नेता माना है। हुड्डा खुद सीएलपी लीडर हैं और प्रदेशाध्यक्ष पद पर उदयभान की नियुक्ति भी उनकी पसंद से हुई है। इतना ही नहीं, जितेंद्र कुमार भारद्वाज के रूप में कार्यकारी अध्यक्ष पद पर भी अपने करीबी को एडजस्ट करवाने में कामयाब रहे हैं। दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बदलाव की कवायद के बीच एंटी हुड्डा खेमा भी काफी सक्रिय था। हुड्डा की राह में कई तरह के रोड़े भी अटकाए गए। उन्हें सीएलपी लीडर पद छोड़ने और प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की पेशकश तक की गई।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष में रहते हुए प्रदेशाध्यक्ष का पद काफी अहम माना जाता है लेकिन हुड्डा ने विधायक दल का नेता बने रहना ही स्वीकार किया। माना जा रहा है कि इसके पीछे मुख्य कारण प्रदेशाध्यक्ष के साथ जुड़ा ‘बैड लक’ रहा। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में अभी तक जितने भी प्रधान रहे हैं, वे प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचे। 2005 में जब कांग्रेस को 67 सीटें हासिल हुईं तो उस समय भजनलाल प्रदेशाध्यक्ष थे, लेकिन उनकी जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली हुड्डा को।
सैलजा को मिल सकती राज्यसभा
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा प्रदेशाध्यक्ष पद बेशक चला गया लेकिन नेतृत्व इसकी भरपाई करेगा। अगस्त में राज्ससभा की दो सीटें खाली हो रही हैं। इसमें से एक सीट कांग्रेस के खाते में आएगी। माना जा रहा है कि इस सीट पर हाईकमान सैलजा को ही राज्यसभा भेजेगा। अप्रैल-2020 में सैलजा का राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने के बाद हुए चुनावों में उनकी जगह पार्टी ने दीपेंद्र सिंह हुड्डा को राज्यसभा भेजा था। माना जा रहा है कि अब सैलजा को फिर से राज्यसभा का टिकट मिल सकता है।
फिलहाल कुलदीप ‘आउट’
आदमपुर विधायक व भजनलाल पुत्र कुलदीप बिश्नोई भी पिछले कई दिनों से दिल्ली में एक्टिव थे। उनकी राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात हुई। मंगलवार को वे संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मिले थे। नेतृत्व उन्हें प्रदेशाध्यक्ष या सीएलपी बनाना चाहता था लेकिन हुड्डा की ‘स्लो बोलिंग’ पर कुलदीप अपनी ‘विकेट’ नहीं बचा सके और ‘बोल्ड’ हो गए।