हिसार, 28 जुलाई (हप्र)
तावड़ू में खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई में डीएसपी सुरेंद्र सिंह मांजु की हत्या उनके गांव सारंगपुर के लोगों के लिए पहेली बनी हुई है। उनका कहना है कि खनन माफिया सरकार की शह के बिना नहीं पनप सकता और सरकार को सब पता है कि इसे कौन संचालित कर रहा है। उनके अनुसार डीएसपी के साथ तब तक न्याय नहीं हो सकता, जब तक खनन माफिया को जड़ से खत्म न किया जाए। गांव की ढाणी में बने घर में शहीद डीएसपी के भाई ओमप्रकाश, मक्खन सिंह, सुभाष चंद्र, कृष्ण कुमार, अशोक कुमार, पुत्र सिद्धार्थ, भतीजे राजेश कुमार, दिनेश कुमार व सुनील मांजु शोक सभा में मौजूद रहते हैं।
डीएसपी के परिजनों ने बताया कि उनकी हत्या क्यों की गई, पूरी टीम में उनको ही क्यों टारगेट बनाया गया, उनकी टीम के बाकी कर्मचारियों, जो मामले के चश्मदीद हैं, ने अभी तक कई स्वाभाविक सवालों के जवाब नहीं दिए हैं, जिनके बारे में पूरा देश जानना चाहता है। इसके कारण यह हत्याकांड उनके लिए आज भी पहेली बना हुआ है। हालांकि उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान पर उन्हें भरोसा है क्योंकि उन्होंने कहा कि आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।
रिटायर्ड फौजी होशियार सिंह ने बताया कि उसने सुरेंद्र मांजु के साथ ही गांव के सरकारी स्कूल से दसवीं तक पढ़ाई की थी। वह सेना में चला गया और सुरेंद्र ने करीब नौ साल तक डेयरी विकास विभाग में नौकरी की और फिर प्राइवेट पढ़ाई करके बीए की और पुलिस में एएसआई भर्ती हो गया। वह जब भी गांव आता तो उनसे मिलता और बचपन के पुराने दिन याद करता।
इसी प्रकार सुभाष चंद्र ने बताया कि उसने भी सुरेंद्र सिंह के साथ पांचवीं तक की पढ़ाई की और वह जब भी उससे मिलता तो एक दोस्त की तरह मिलता था।