हिसार, 18 मार्च (हप्र)
बदलते समय के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में कृषि क्रियाओं को समयानुसार क्रियान्वित करने व श्रमिकों की कमी को देखते हुए ड्रोन तकनीक को अपनाना होगा। इस तकनीक को अपनाने से कृषि लागत को कम करने के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत की जा सकती है। यह बात चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने सोमवार काे विश्वविद्यालय के खरीफ कृषि मेला के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कही। मेले में विशिष्ट अतिथि के रूप में महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा और गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई मौजूद रहे। इस बार मेले का मुख्य विषय खेती में ड्रोन का महत्व है। कृषि मेला खरीफ में पहले दिन हरियाणा व अन्य राज्यों से करीब 40 हजार किसानों ने भाग लिया।
मुख्यातिथि प्रो. बीआर काम्बोज ने आह्वान किया कि कृषक समुदाय को नई-नई तकनीकों व प्रौद्योगिकियों के बारे में समयानुसार अपडेट करते रहना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि खेती में ड्रोन तकनीक का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। क्योंकि आज के दौर में खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण को संरक्षित रखना मुख्य चुनौतियां है। साथ ही किसानों द्वारा फसलों में कीटनाशक दवाइयों का अधिक प्रयोग करने से इंसान अनेक बीमारियों की चपेट में भी आ रहा है। उपरोक्त चुनौतियों से निपटना है तो किसानों को ड्रोन तकनीक को अपनाना होगा। क्योंकि ड्रोन के द्वारा कम समय में जल विलय उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवार नाशक का छिड़काव समान तरीके से व सिफारिश के अनुसार आसानी से किया जा सकता है, जिससे कम लागत होने के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत होगी।
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने बताया कि हरियाणा का किसान प्रगतिशील किसान है। अपने प्रयासों की बदौलत वह अन्य राज्यों के किसानों, प्रौद्योगिकियों व नवाचारों के मुकाबले में सबसे आगे है। इसलिए किसान खाद्य सुरक्षा, खाद्य भंडारण, जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण संरक्षण जैसी अनेक चुनौतियों का हल निकालने में अपनी अहम भूमिका अदा कर सकता है।