जितेंद्र अग्रवाल/हप्र
अम्बाला शहर, 10 अप्रैल
गेहूं के इस सीजन में सीमांत मंडियों के आढ़ती दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर तो हरियाणा में इस बार गेहूं का झाड़ काफी कम होने के कारण आवक पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है तो वहीं पंजाब से आने वाली गेहूं की एंट्री को बंद कर दिए जाने से मंडी के आढ़तियों में रोष पनप रहा है क्योंकि उनकी आय तेजी से नीचे गिर रही है। संभवतया गेहूं का वर्तमान सीजन ऐसा है जिसमें किसान, आढ़ती और सरकार तीनों को ही नुकसान हो रहा है। इन परिस्थितियों में जब कई बेल्टों में आवक 15 क्विंटल से भी नीचे निकल रहा है, उसमें किसानों को तो नुकसान हुआ ही है, आढ़ती भी सकते की स्थिति में हैं। ऊपर से बाहरी किसानों को नाके लगाकर रोकने के कारण पंजाब का गेहूं भी नहीं आ रहा। ऐसे में आढ़तियों की सालाना आमदन औंधे मुंह गिरने की संभावनाए हैं। उन्हें अपने सालाना खर्चे पूरे होते नहीं दिख रहे। मार्केट कमेटी के निवर्तमान वाइस चेयरमैन भारत भूषण अग्रवाल, प्रवीण कुमार, राजेंद्र बंसल, गौरव गर्ग, अशोक कुमार आदि आढ़तियों का कहना है कि बेशक सरकार पंजाब की गेहूं नहीं खरीदे लेकिन प्राइवेट व्यापार के लिए तो आने दे। उससे आढ़ती को आढ़त भी मिलेगी और मार्केट कमेटी को राजस्व मिलेगा लेकिन सरकार की गलत नीति के कारण आढ़ती पलायन करने को मजबूर होकर रह जाएंगे। युवा किसान असीम गोयल मोनू ने बताया कि कई किसानों की झाड़ तो 9 क्विंटल से भी नीचे निकली है।
लिफ्टिंग लचर, बिजली कट कर रहे परेशान
शहर मंडी में अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। सीजन के दौरान जहां अघोषित बिजली कट परेशान कर रहे हें तो वहीं लिफ्टिंग लचर अवसथा में है। बिजली कटों से गेट पास बनाने में परेशानी हो रही है जिससे किसानों को धूप और लाइन में लगकर बिजली का इंतजार करना पड़ रहा है। शहर मंडी में आज सुबह 11 बजे तक 1984 गेट पासों के तहत 1.25 क्विंटल गेहूं आवक रिकार्ड हुई।
”शहर मंडी में केवल हरियाणा पोर्टल पर पंजीकृत गेहूं ही आ रही है। अभी तक कोई प्राइवेट खरीद नहीं हुई और न ही कोई बाहरी किसान गेट पास के लिए आया है। यदि कोई आएगा तो उसे ई-मंडी का गेट पास दे दिया जाएगा।”
-दलेल सिंह, सचिव एवं कार्यकारी अधिकारी मार्केट कमेटी अम्बाला शहर