चंडीगढ़, 30 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में डॉक्टरों को पीजी कोर्स के लिए सरकार ने नियम तय किए हैं। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस (एचसीएसएम) और हरियाणा सिविल डेंटल सर्विस (एचसीडीएस) के डॉक्टरों को हायर एजुकेशन के लिए अब सरकार से मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट), पोस्ट डिप्लोमा सेंट्रलाइज्ड एंट्रेंस टेस्ट (पीडीसीईटी) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) की प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए डाक्टरों को एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) की अनिवार्यता को खत्म किया है। पोस्ट ग्रेजुएशन पॉलिसी में संशोधन किया गया है। यह बदलाव मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ही लागू होगा। डाक्टरों को अगर पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री, डीएनबी (डिप्लोमेट आॅफ नेशनल बोर्ड) और डिप्लोमा करना है तो नई शर्तें उन पर लागू होंगी। पूर्व में ही बांड भर चुके डॉक्टरों पर नई पॉलिसी का असर नहीं होगा। एमबीबीएस के लिए प्रेक्टिस की चार साल की शर्त को घटाकर सरकार ने तीन साल कर दिया है। तीन साल की नौकरी के बाद डॉक्टर पीजी कोर्स कर सकेंगे।