डॉक्टर्स-डे आज, अस्पताल में बिना चिकित्सक कैसे मिले इलाज
ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 30 जून
हर वर्ष एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है, जिससे समाज में डॉक्टरों के योगदान को सराहा जा सके। लेकिन कैथल जिले की जमीनी हकीकत इस दिवस को औपचारिकता मात्र बना रही है। यहां न केवल डॉक्टरों की भारी कमी है, बल्कि कई अस्पताल तो बिना डॉक्टरों के चल रहे हैं। कैथल जिले के नागरिक अस्पताल में डॉक्टरों के 55 स्वीकृत पदों में से 30 पद लंबे समय से खाली हैं। पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था महज 25 डॉक्टरों के सहारे है। पूरे जिले में सिर्फ एक महिला रोग विशेषज्ञ और एक बाल रोग विशेषज्ञ कार्यरत है। ऐसे में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां और गंभीर हो जाती हैं।
सीएचसी कौल की स्थिति भी चिंताजनक है। यहां डॉक्टरों के 7 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सिर्फ 2 डॉक्टर ही तैनात हैं। पीएचसी स्तर पर हालात और भी बदतर हैं। खरकां पीएचसी में दोनों स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं। बड़सिकरी, सजूमा, बात्ता, बालू, फरल, रसीना, किठाना और करोड़ा जैसे ग्रामीण इलाकों के अस्पताल तो बिना किसी डॉक्टर के चल रहे हैं, जहां स्टाफ नर्स या फार्मासिस्ट ही किसी तरह मरीजों की देखरेख कर रहे हैं। इन हालात में मरीजों को न तो समय पर इलाज मिल पा रहा है और न ही विशेषज्ञ सलाह।
जिले के 9 अस्पताल बिना डॉक्टरों के और 10 अस्पतालों में एक-एक डॉक्टर काम चला रहे हैं। 6 सीएचसी के हालात भी अच्छे नहीं है। डॉक्टरों की भारी कमी का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। गांवों में रहने वाले लोग छोटे से इलाज के लिए भी शहरों की दौड़ लगाने को मजबूर हैं। जहां पहले से ही डॉक्टरों पर भारी बोझ है।
मनोरोग डॉक्टर लंबी छुट्टी पर
मनोरोगियों की स्थिति सबसे दयनीय है। मार्च से मनोरोग विशेषज्ञ छुट्टी पर हैं। अन्य जिले से सप्ताह में एक दिन किसी डॉक्टर की ड्यूटी लगाई थी, लेकिन वह कुछ दिनों से आ नहीं रहे। ऐसे में मनो रोगियों की पेंशन, रिन्यूयल जैसे काम अटके पड़े हैं।
सीएमओ, कैथल डा. रेणू चावला ने कहा कि पिछले दिनों प्रदेश में डॉक्टरों की भर्ती हुई थी, उसमें 70 डाक्टरों की डिमांड भेजी गई थी, लेकिन सिर्फ 23 डाक्टर ही जिले को मिले। उम्मीद है कि अगली सूची में उन्हें डॉक्टर मिल जाएंगे और डॉक्टरों की कमी पूरी हो जाएगी।