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हुक्के पै चरचा

हरियाणा की राजनीति के चटपटे किस्से
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फीका रहा आगाज़हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर शुरू किया गया ‘संविधान बचाओ’ अभियान का आगाज़ फीका रहा। बेशक, प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान ने पूरी तैयारियों के साथ यमुनानगर से इसकी शुरुआत की, लेकिन इस दौरान उदयभान के अलावा प्रदेश कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा नहीं दिखा। न तो इसमें सांघी वाले ताऊ थे, न ही सिरसा वाली बहनजी और न ही कैथल वाले भाई साहब। बांगर वाले चौधरी भी इस आयोजन से दूर रहे। हालांकि उदयभान ने आयोजन को बेहतर बनाने और अच्छा आगाज़ करने की हरसंभव कोशिश की। लेकिन ताऊ के नहीं आने की वजह से वर्करों व कार्यकर्ताओं में भी जोश नहीं दिखा।

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मिले सुर मेरा तुम्हारा

हरियाणा की राजनीतिक पार्टियों के बीच में आमतौर पर छत्तीस का आंकड़ा रहता है। भाखड़ा डैम के पानी को लेकर पंजाब के साथ छिड़े विवाद ने सभी को एक मंच पर ला दिया है। पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के खिलाफ हरियाणा में आप की ही इकाई ने भी मोर्चा खोला हुआ है। आमताैर पर दोनों राज्यों के बीच पानी के मुद्दे पर आप बचाव की मुद्रा में रही है। पहले हरियाणा में शर्मनाक नतीजों और फिर दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद अब आप भी सोच-समझ कर बोल रही है। ऑल पार्टी मीटिंग में जिस तरह से सभी राजनीतिक दल मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सुर में सुर मिलाते नजर आए, उससे स्पष्ट है कि इंटर-स्टेट विवाद पर स्थानीय दलों को स्थानीय लोगों व मुद्दों पर अपना स्टैंड स्पष्ट ही रखना होगा।

इनेलो को मिली संजीवनी

पंजाब के साथ ताजा जल विवाद ने इनेलो को एक्टिव होने का गोल्डन चांस दे दिया है। बेशक, एसवाईएल का मुद्दा दशकों से चला आ रहा है और इसका दूर-दूर तक फिलहाल कोई हल नहीं दिख रहा है। लेकिन भाखड़ा डैम के पानी के मुद्दे पर इनेलो को पंजाब की मान सरकार ही नहीं, हरियाणा की नायब सरकार को भी घेरने का मौका दे दिया है। इनेलो वाले ‘बिल्लू’ भाई साहब ने तो पंजाब सीएम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने तक की सलाह दे डाली है। साथ ही, चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो इनेलो सड़कों पर उतरेगा। पंजाब का दिल्ली जाना मुश्किल कर दिया जाएगा। हालांकि ये मुद्दे राजनीतिक ही हैं और इन पर कभी से राजनीति होती आई है।

प्रभारी को झुकना पड़ा

पिछले दिनों होडल में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की जनसभा में बड़ा रोचक किस्सा हुआ। इस जनसभा का आयोजन यहां से भाजपा विधायक हरेंद्र रामरतन सिंह ने करवाया था। भाजपा वाले प्रभारी महोदय जनसभा में एक पूर्व विधायक को भी मंच पर लाना चाहते थे। इसके लिए कोशिश भी हुई लेकिन रैली के आयोजक ने दो-टूक कह दिया कि पूर्व विधायक का मंच पर आना उनके लिए गवारा नहीं है। यहां तक कहा गया कि अगर पूर्व विधायक आएंगे तो वे जनसभा में नहीं आएंगे। बस फिर क्या था। प्रभारी को अपना फैसला बदलना पड़ा। यह किस्सा पूरे फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में चर्चाओं का विषय बना हुआ है।

बड़े और छोटे मंत्री में झगड़ा!

फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के दो नेताओं के बीच का टकराव चर्चाओं में है। केंद्र वाले ‘बड़े मंत्रीजी’ की कार्यशैली से परेशानी तो कई स्थानीय भाजपाइयों को होती है, लेकिन कुछेक ऐसे हैं, जो खुलकर आमने-सामने आ डटते हैं। इन बड़े मंत्री के साथ हरियाणा सरकार वाले ‘छोटे मंत्री’ का टकराव खूब सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि विधानसभा चुनावों से पहले यह टकराव इतना अधिक नहीं था। लेकिन ‘छोटे मंत्री’ के सरकार में भागीदार होने के बाद से ही विवाद बढ़ता जा रहा है। भाजपाई ‘भाई लोग’ बताते हैं कि यहां लड़ाई ‘प्रभाव’ और ‘चौधर’ की है।

प्रधानजी का बढ़ता इंतजार

हरियाणा में भाजपा वाले ‘प्रधानजी’ का इंतजार लम्बा होता जा रहा है। पहले केस में फंसने की वजह से मामला लटका और अब पहलगाम में हुए आतंकी हमले की वजह से मामला और अटक गया है। आतंकी हमले का असर हरियाणा ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा के संगठनात्मक चुनावों पर पड़ा है। ‘प्रधानजी’ के समर्थकों की बेचैनी लगातार हो रही देरी की वजह से बढ़ रही है। हालांकि हार्ट-बीट ‘प्रधानजी’ की भी ‘अप-डाउन’ हो रही है, लेकिन फिलहाल वेट करने के लिए दूसरा कोई ऑप्शन न उनके पास है और न ही उनके समर्थकों के पास।

डिनर डिप्लोमेसी

सांघी वाले ताऊ की डिनर डिप्लोमेसी कई वजह से चर्चाओं में है। चार सांसदों और तीस से अधिक विधायकों की मीडिया के लिए आयोजित डिनर में हाजिरी के जरिये ताऊ ने अपनी मजबूती का अहसास करवाने की कोशिश की। हालांकि इस डिनर में ताऊ के ‘लेफ्ट’ व ‘राइट’ कहे जाने वाले नेताओं की कमी खली। न तो डिनर में ताऊ के ‘रिश्तेदार’ नेताजी नजर आए और न ही पतरा देखने वाले ‘पंडितजी’। हालांकि पंडितजी की ‘नाराजगी’ कई बार सार्वजनिक भी हो चुकी है, लेकिन फिर भी यह उम्मीद की जा रही थी कि दोनों नेता इस आयोजन में जरूर शामिल होंगे।

रास आई राजनीति

पहलवानी से ‘राजनीतिक दंगल’ में कूदी ओलंपियन पहलवान को राजनीति रास आ गई है। पहली ही बार में टिकट और टिकट के साथ ही चुनावों में जीत, लॉटरी लगने से कम नहीं है। लेकिन ओलंपिक खेलों में ओवरवेट होने की वजह से डिस-क्वालीफाई होने के बाद भी सिल्वर मेडल वाला दोहरा इनाम मिल गया है। पहलवान-कम-विधायक को नाम केवल चार करोड़ नकद मिलेंगे बल्कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) का प्लॉट भी मिलेगा।

‘छोटे सीएम’ का आना

पिछले साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद पिछले सप्ताह शनिवार को हुई ऑल पार्टी मीटिंग में यह पहला मौका था जब जजपा वाले ‘छोटे सीएम’ ने हरियाणा में दाढ़ी वाले ‘छोटे काका’ और सांघी वाले ताऊ सहित अपने परिवार की ही पार्टी के नेताओं के साथ मीटिंग में भाग लिया। चुनावी नतीजों के बाद से ‘छोटे सीएम’ असक्रिय हो गए थे। हालांकि वे अब पार्टी वर्करों की बैठकें शुरू कर चुके हैं, लेकिन मौजूदा और पूर्व सीएम के साथ उनकी यह पहली मुलाकात थी।

चार हलके गायब!

कांग्रेस ने संविधान बचाओ अभियान के लिए जिलावार कमेटियों का गठन किया है। इन कमेटियों में पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों के अलावा चुनाव लड़ चुके नेताओं (प्रत्याशियों) को शामिल किया है। अहम बात यह है कि इन कमेटियों से चार हलके गायब हैं। अंबाला कैंट, हिसार, भिवानी व रादौर के प्रत्याशियों को कमेटी में जगह नहीं दी है। हालांकि हिसार व रादौर वाले प्रत्याशी कांग्रेस छोड़ चुके हैं, लेकिन अंबाला कैंट के प्रत्याशी को सक्रिय होने के बाद भी किसी कमेटी में जगह नहीं मिली है।

-दादाजी

 

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