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हुक्के पै चरचा

हरियाणा की सियासत के चटपटे किस्से

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हरियाणा की सियासत इन दिनों खेत-खलिहान, सड़कों और जेलों तक फैली हुई है। कहीं बाढ़ के पानी में नेता पैर गीले कर रहे हैं, कहीं सड़कों पर झाड़ू बुहार रहे हैं, तो कहीं पेंशन पर ठनक रहे हैं। विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ही मजबूरी में जनता के बीच हैं, क्योंकि आगे चुनावों में उलाहनों से भी तो बचना है। आइए देखते हैं, इस हफ्ते किसने क्या किया और कहां बना तमाशा।

जुलाना वाली मैडम

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जुलाना वाली ‘मैडम’ लंबे अरसे तक गायब रहने के बाद जब बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुंचीं, तो लोग नाराज हो गए। पानी निकासी के लिए जमीन नाम करवाने की बात छेड़ी तो बुजुर्ग और महिलाएं भड़क उठीं। जब कुछ सूझा नहीं तो खिलाड़ी-कम-पॉलिटिशियन मैडम ने खामोशी से निकलना ही बेहतर समझा। समय रहते हलके की सुध न लेने का खामियाजा अब सामने दिख रहा है।

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छोटे काका की मुहिम

दाढ़ी वाले ‘छोटे काका’ अचानक गुरुग्राम में उतरे। हाथ में झाड़ू पकड़ी और साइबर सिटी की सफाई का बीड़ा उठा लिया। अफसरों के होश उड़ गए और देखते ही देखते यह एक्शन जन-आंदोलन बन गया। लोग कहने लगे—अगर काका महीने में एक बार ऐसा कर दें तो गुरुग्राम चमक उठे। लेकिन फिलहाल तो यह शहर गंदगी, जाम और जलभराव की मार झेल रहा है, जबकि राज्य को सबसे ज्यादा कमाई राजस्व के रूप में यहीं से होती है।

जेलों में नई एंट्री

हरियाणा जेल विभाग में पहली बार पुलिस के डीएसपी जेल सुपरिंटेंडेंट बने हैं। विभाग में हलचल है, नाराज़गी भी है। कहते हैं यह सब ‘बड़े साहब’ की पहल का नतीजा है। इससे पहले पुलिसवालों को आरटीए और प्रशासनिक पदों पर भी बिठाया जा चुका है। जिस दिन आदेश निकले, उस दिन ‘पंडितजी’ खूब भड़के, मगर कुछ ही देर में ठंडे भी पड़ गए। अफसर अब भी इस फैसले से खफ़ा हैं।

इंडोनेशिया में गीता

इस बार श्रीमद्भगवद गीता की गूंज इंडोनेशिया तक पहुंची। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव की कड़ी में बड़ा आयोजन हुआ। ‘छोटे काका’ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर संदेश दिया। संस्कृति मंत्री और कुरुक्षेत्र के गीता मनीषी भी मंच पर थे। ‘बड़े काका’ के दौर में शुरू हुई इस परंपरा को विपक्ष भी मानता है, भले ही कभी-कभार करोड़ों रुपये बहाने के आरोप जरूर जड़ देता है।

सेवा पखवाड़ा

छोटे काका की सरकार अब सेवा पखवाड़ा मनाने जा रही है। 17 सितंबर से 2 अक्तूबर तक चलने वाले इस अभियान में हर विभाग कुछ नया करेगा। कहीं सड़कों की मरम्मत होगी, कहीं परियोजनाओं का उद्घाटन और कहीं सामाजिक कार्यक्रम। असल मकसद है—लोगों तक सरकार की नीतियों का प्रचार और जनता से जुड़ाव, वो भी इवेंट के बहाने।

जेलर अधिकारी

एक ‘जेलर’ साहब इन दिनों चर्चाओं में हैं। नेताओं का पाला बदलने में उस्ताद, अब प्रदेश की सबसे पसंदीदा जेल में पोस्टिंग चाहते हैं। इसके लिए स्थानीय मंत्री से सिफारिश लगाने जा पहुंचे। मंत्री बेबाक निकले—खुलेआम उनकी तारीफ में कसीदे गढ़े, जिससे साहब पसीने-पसीने हो गए। रात को जेल निरीक्षण के दौरान जब एक वार्ड में भगदड़ का किस्सा छेड़ा गया, तो जेलर साहब भाग खड़े हुए।

ट्रैक्टर पर ताऊ

सांघी वाले ताऊ बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर रहे हैं। कभी रोहतक, कभी यमुनानगर के खेतों में पहुंच रहे हैं। खुद ट्रैक्टर स्टार्ट कर कीचड़ में घुस गए और किसानों से सीधे संवाद किया। ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर सवाल दागे और मुआवजे की मांग तेज़ की। इन दौरों में ताऊ कांग्रेस के वक्त की योजनाओं की याद दिलाकर मौजूदा सरकार पर तंज कसना नहीं भूल रहे।

बुढ़ापा पेंशन और ‘पूर्व छोटे सीएम’

पूर्व ‘छोटे सीएम’ संगठन को फिर से खड़ा करने में जुटे हैं और बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं। एक बुजुर्ग ने पेंशन को लेकर तंज कस दिया तो गुस्से में बोले—“3000 रुपये मैंने बढ़वाई थी।” ताऊ तुरंत बोले—“शुरुआत तो तेरे पड़दादा ने की थी।” पूर्व छोटे सीएम बोले—“बढ़वाई मैंने थी।” फिर पलटकर नायब सरकार पर सवाल दाग दिए—“अब कर दी कै 3500?”

उचाना पर नजर

उचाना सीट एक बार फिर सियासत का हॉटस्पॉट बनी हुई है। 32 वोट से हारे बृजेंद्र सिंह ने बैलेट वोट रद्द करने का मामला हाईकोर्ट में उठाया है। सुनवाई पूरी हो चुकी है, फैसला रिजर्व है। विधायक देवेंद्र अत्री की धड़कनें तेज हैं, क्योंकि रिजेक्ट हुए वोटों की गिनती 200 से भी ज्यादा है। पूरा प्रदेश अब हाईकोर्ट के फैसले पर टकटकी लगाए बैठा है।

बाबा का गुस्सा

अंबाला कैंट वाले दाढ़ीधारी बाबा फिर भड़क उठे। एक्स पर लिखा—“यहां समानांतर बीजेपी चल रही है, और वो भी ऊपर वालों के आशीर्वाद से।” पहले भी ऐसे तेवर दिखा चुके बाबा को नोटिस भी मिल चुका है। इस बार भी उनका बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है।

आखिरी कश

तो जनाब, यह रही हरियाणा की डायरी - कहीं जनता ने ‘मैडम’ को घेर लिया, कहीं छोटे काका की झाड़ू चली, तो कहीं ताऊ ट्रैक्टर पर खेतों में उतरे। जेल विभाग में भी हलचल है और कोर्ट-कचहरी में भी सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। एक लाइन में कहें तो—हरियाणा की राजनीति कभी नालों में फंसी है, कभी ट्रैक्टर पर दौड़ रही है, और कभी गीता के श्लोकों से विदेश तक गूंज रही है।

-दादाजी

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