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चरचा हुक्के पै

हरियाणा की सियासत से जुड़े चटपटे किस्से
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हरियाणा की सियासत में इस हफ्ते सब कुछ था—हंगामा, ठहाके, चुटकियां और तगड़े वार-पलटवार। विधानसभा से लेकर गली-मोहल्ले तक, सियासी गलियारों में हलचल का पारा तेज रहा। आइए जानते हैं, किसने किसको पटकनी दी, कौन आक्रामक रहा और किसके घर बैंड-बाजे से मनाई गई खुशियां।

हुक्के में धुआं, सदन में बवंडर

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विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होते ही माहौल गरमा गया। सदन की कार्यवाही को छह बार स्थगित करना पड़ा- हरियाणा विस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। विपक्ष ने कानून-व्यवस्था और बेटियों की सुरक्षा पर इतना जोरदार हंगामा किया कि कुर्सियां तक खड़खड़ाने लगीं। आमतौर पर ऐसे मौकों पर विपक्षी विधायकों को नेम करके बाहर निकाल दिया जाता है, पर इस बार स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने गुस्से में भी ताऊ वाला धैर्य दिखाया। उन्होंने सदन की गरमी को और बढ़ाने के बजाय सर्वदलीय बैठक का रास्ता चुना। बैठक में भी खूब छींटाकशी हुई, आवाज़ें ऊंची-नीची हुई, लेकिन आखिर में कांग्रेस का काम रोको प्रस्ताव मंजूर करना पड़ा। लोगों में चर्चा है कि अगर स्पीकर तल्खी दिखा देते तो “हुक्का-चिलम सब तित्तर-बित्तर हो जाता।”

गुस्से का लेट-लतीफ धमाका

कांग्रेस की आक्रामकता ने सबको चौंका दिया। पिछले 11 साल में ऐसा जोश पहली बार दिखा। सवाल ये भी उठे कि “भाई, ये गुस्सा पहले क्यों ना फूटा?” कानून-व्यवस्था और बेटियों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर कांग्रेस ने पूरे सदन को रोककर दम दिखाया। भितरखाने यह चर्चा गर्म है कि 2024 विधानसभा चुनाव में पॉजिटिव माहौल के बावजूद हार ने कांग्रेस को झकझोर दिया है। हार का जख्म अभी ताजा है और पार्टी ने सोचा कि अब अगर आवाज न उठाई तो जनता और भी दूर चली जाएगी। एक वरिष्ठ नेता ने हंसी में कह भी दिया -“हमने तो अब लेट-लतीफ गुस्से का अलार्म बजा दिया है।”

कप्तान बिना टीम कब तक ?

हरियाणा कांग्रेस की हालत इन दिनों ऐसी है जैसे टीम मैदान में हो लेकिन कप्तान ही न हो। विधानसभा चुनाव के नतीजों को दस महीने पूरे हो चुके, मगर अब तक सीएलपी लीडर का फैसला नहीं हुआ। मार्च का बजट सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के निपटा, अब मानसून सत्र भी उसी हाल में चल रहा है। विधायक बिना कप्तान के भी लड़ाई लड़ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सांघी वाले ताऊ सदन में आज भी अनौपचारिक नेता प्रतिपक्ष जैसे दिखते हैं। स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने भी चुटकी ली—“हम तो अभी भी उन्हें (सांघी वाले ताऊ) को ही लीडर मानते हैं।” कांग्रेसियों में ये तंज अब मजाक भी है और सवाल भी—“आखिर कप्तानी किसे मिलेगी और कब तक ये नाव बिना पतवार चलेगी?”

जिलाध्यक्षों की ‘क्रैश कोर्स’ पॉलिटिक्स

ग्यारह साल बाद कांग्रेस संगठन को नया रूप देने में जुटी है। 32 जिलाध्यक्ष घोषित किए जा चुके हैं और खास बात यह कि ज्यादातर नए और सेकेंड-थर्ड लाइन के नेता चुने गए हैं। राहुल गांधी के निर्देश पर अब इन जिलाध्यक्षों की ट्रेनिंग होगी। खबर है कि हरियाणा से बाहर दस दिन का रेज़िडेंशियल कैंप लगेगा, जहां राहुल की स्पेशल टीम नए प्रधानों को सिखाएगी कि जनता तक कैसे पहुंचना है और भाजपा से कैसे आर-पार की लड़ाई लड़नी है। पुराने नेताओं में इस बात की तसल्ली है कि नए प्रधान उनके इशारों पर चलेंगे। एक दिग्गज ने हंसी में कहा—“अबके प्रधान तो हमारे मोबाइल के रिमोट से ही चलेंगे।”

चौधरी दरबार में नयी बत्तीसी मुस्कान

बांगर वाले बड़े चौधरी के घर अरसे बाद रौनक लौटी है। साहबजादे और पूर्व सांसद को राहुल गांधी ने विदेश सहयोग विभाग में राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी दी है। उचाना कलां से मामूली अंतर से मिली हार के बाद माना जा रहा था कि उन्हें प्रदेश में एडजस्ट किया जाएगा, मगर राहुल ने सीधा दिल्ली दरबार में जगह दे दी। समर्थकों में खुशी की लहर है। चौधरी दरबार में मिठाई बंटी और चर्चा यही रही कि “अब छोरे ने चौका दिल्ली में मारा है।” राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस नियुक्ति से युवा नेता राहुल गांधी के करीब रहकर अपनी नई पहचान बनाएंगे।

दक्षिणी दंगल : वार पलटवार की जंग

दक्षिण हरियाणा के दो दिग्गजों के बीच रस्साकशी अब खुले मैदान में है। मानेसर नगर निगम चुनाव में राजा साहब को पटकनी देने वाले राव साहब के खिलाफ जवाबी मोर्चा खोलना पड़ा। निगम की निर्दलीय मेयर के दफ्तर उद्घाटन पर खुद राजा साहब पहुंचे और समर्थकों को संदेश दिया—“मैं हूं ना।” कार्यक्रम में लगे भावी मुख्यमंत्री के नारे सुनकर भाजपा नेतृत्व भी सोच में पड़ गया। दोनों खेमों में इस समय हालात ऐसे हैं जैसे “तू डाल-डाल, मैं पात-पात।” सत्ता के गलियारों में भी कानाफूसी यही है कि “अगर ऐसे ही भिड़ते रहे तो आधा दम आपस की लड़ाई में ही निकल जाएगा।”

इनेलो का पावर शो, जाटलैंड में जोर-शोर

इनेलो के ‘बिल्लू भाई साहब’ यानी अभय चौटाला ने कमर कस ली है। 25 सितंबर को रोहतक में ताऊ देवीलाल की जयंती पर बड़ी रैली होगी। हलकावार बैठकों से मिल रहे रिस्पांस ने नेताओं और कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ा दिया है। रणनीतिक रूप से रोहतक को चुना गया है क्योंकि यहां से इनेलो अगर पकड़ बनाता है तो इसका असर पूरे हरियाणा में दिखेगा। पार्टी के एक नेता ने कहा—“रोहतक से अगर आंधी चली तो उसका गुड़गुड़ पूरे जाटलैंड में गूंजेगा।”

चेयरमैनी की लॉटरी : इंतजार का इम्तिहान

भाजपा खेमे में बोर्ड-निगमों की चेयरमैनी को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है। दस महीने में आधा दर्जन बार तारीख तय हुई लेकिन कुर्सी किसी को नहीं मिली। नेताओं ने दिल्ली और चंडीगढ़ की दौड़ लगाना अब कम कर दिया है। अंदरखाते नेता कहते हैं कि हर बार “अबके पक्की है” वाली चर्चा चलती है, उम्मीदें बढ़ती हैं, और फिर सब धरा का धरा रह जाता है। कार्यकर्ताओं की जुबान पर भी यही सवाल है—“हमारे अच्छे दिन कब आवेंगे?”

छोटे काका के कटाक्ष : हंसी-हंसी में वार

हरियाणा के छोटे काका यानी बड़े कद-दाढ़ी वाले नेता अब राष्ट्रीय राजनीति में भी शॉट मारने लगे हैं। हाल ही में राहुल गांधी के वोट चोरी वाले बयान पर उन्होंने हंसी-हंसी में बड़ा वार किया—“राहुल को तो किसी तांत्रिक को दिखाना चाहिए।” काका ने आगे कहा कि कांग्रेस ने खुद भाजपा की मदद की। उनका यही अंदाज़ है—बात कहते हंसते हैं, पर असर ऐसा छोड़ जाते हैं कि सुनने वाले देर तक माथा खुजाते रह जाते हैं।

एंडिंग : हरियाणा की सियासत इस हफ्ते फिर से साबित कर गई कि यहां राजनीति हुक्के की गुड़गुड़ जैसी है—कभी तेज़, कभी धीमी, और कभी अचानक धुआं छोड़ देती है। कांग्रेस कप्तान ढूंढ़ रही है, भाजपा चेयरमैनी की लॉटरी, और इनेलो शक्ति प्रदर्शन की तैयारी। जनता अब भी यही सोच रही है—“किसके अच्छे दिन कब आएंगे और किसके लिए तारीख पर तारीख मिलती रहेगी।”

-दादाजी

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