ब्यूरोक्रेसी और ‘दिनकर’
हरियाणा की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविताएं भी खूब चर्चाओं में हैं। अफसरशाही के ‘बॉस’ की कुर्सी पर मिली ‘एक्सटेंशन’ ने कई ‘भाई लोगों’ के सपनों को तोड़ने का काम किया है। दिल्ली वाले ‘बड़े काका’ के साथ नजदीकियों का नतीजा कहें या फिर इसके पीछे भी ब्यूरोक्रेसी ही बड़ी वजह रही, यह तो कह नहीं सकते लेकिन इतना जरूर है कि अफसरशाही के ‘बॉस’ ने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में नया रिकाॅर्ड बनाने का काम जरूर कर दिया है। प्रदेश में एक ही साथ एक साल की एक्सटेंशन का यह पहला मामला है। ‘सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते। विघ्नों को गले लगाते हैं, कांटो में राह बनाते हैं’ – रामधारी सिंह दिनकर की इस कविता के जरिये ब्यूरोक्रेसी वाली ‘मैडम’ भी कुछ कहने की कोशिश कर रही हैं। वैसे लिखने-पढ़ने की शौकीन ये ‘मैडम’ भी कुर्सी के दावेदारों में शामिल रही हैं। अब जोड़ने वाले उनकी इस सोशल मीडिया पोस्ट को भी एक्सटेंशन से जोड़कर देख ही रहे हैं।
फिर से रेस्ट
अंबाला कैंट वाले ‘दाढ़ी वाले बाबा’ को एक बार फिर बेड रेस्ट करना पड़ेगा। बीमारी और चोट को कभी से नजरअंदाज करते आए बाबा को इसका नुकसान भी उठाना पड़ा है। एक महीने से पैर दर्द से कराहा रहे थे लेकिन उस ओर ध्यान नहीं दिया। मर्ज जब बढ़ गया और एक्सरे हुआ तो पता लगा कि अंगूठे में फ्रेक्चर है। बस फिर क्या था। डॉक्टरों ने प्लास्टर बांध दिया और रेस्ट करने की सलाह दे डाली। बाबा की सबसे बड़ी परेशानी ही यही है कि वे रेस्ट ही तो नहीं करना चाहते। रोजाना अंबाला से चंडीगढ़ आने के आदी बाबा को यह रेस्ट पीरियड काटना मुश्किल हो चला है।
राहुल की क्लास
हरियाणा में कांग्रेस के संगठन गठन को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस बार उम्मीद से कहीं अधिक बढ़कर गंभीर नजर आ रहे हैं। जिस तरह से 4 जून को उन्होंने खुद ही चंडीगढ़ पहुंच कर केंद्रीय व राज्य के पर्यवेक्षकों को ‘संगठन सृजन कार्यक्रम’ को लेकर पाठ पढ़ाया, उससे ही स्पष्ट हो गया था कि इस बार मैं और मेरा पार्टी में शायद ही चल पाएगा। पिछले सप्ताह एकाएक केंद्रीय पर्यवेक्षकों को दिल्ली तलब करके उन्होंने अभी तक की प्रक्रिया को लेकर फीडबैक भी ले लिया। सीधे-सीधे ही पूछ लिया – जिलाध्यक्षों के चयन में किसी तरह का कोई दबाव तो नहीं है। वहीं प्रदेश के पुराने कांग्रेसी राहुल की इस सक्रियता पर चुटकी भी ले रहे हैं। वे कह रहे हैं – अगर इतनी ही गंभीरता लोकसभा व विधानसभा चुनाव के समय प्रत्याशियों के चयन में भी दिखाई होती तो आज प्रदेश में कुछ और ही राजनीतिक हालात होते।
देसी स्टाइल
हरियाणा वाले शिक्षा मंत्री भी ‘दाढ़ी क्लब’ वाले नेताओं में शामिल हैं। हालांकि वे ‘छोटे काका’ और अंबाला वाले ‘बाबा’ की तरह बड़ी दाढ़ी तो नहीं रखते लेकिन इसका शौक उन्हें भी है। ठेठ हरियाणवी लहजे में बातचीत करने का उनका अंदाज और देसी स्टाइल उन्हें दूसरों से अलग भी करता है। बेशक, उन्हें पसंदीदा मंत्रालय तो नहीं मिला लेकिन फिर भी वे कोशिश में जुटे हैं कि कुछ नया कर सकें। राजनीति के साथ-साथ बड़े बिजनेसमैन ये नेताजी मुर्गियों के बारे में सबसे अधिक जानकारी रखते हैं। पिछले दिनों प्रदेशभर के पोल्ट्री फार्म वाले अपनी समस्याएं लेकर नेताजी के पास चंडीगढ़ पहुंच गए। मामला ‘छोटे काका’ के लेवल का था तो अपने घर से सैकड़ों पोल्ट्री फार्म संचालकों के साथ पैदल मार्च करते हुए ही संत कबीर कुटीर जा पहुंचे। उनका यह स्टाइल हर किसी को पसंद आया। सिक्योरिटी वाले ‘भाई लोग’ भी हैरान और परेशान थे कि आखिर नेताजी को इसकी क्या जरूरत थी।
ट्रांसफर और फोटो
हरियाणा में अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादलों में इन दिनों राजनीतिक दखल भी खूब देखने को मिल रहा है। प्रदेश में सत्ता किसी भी पार्टी की रही हो, विपक्ष के नेताओं के निजी काम आमतौर पर रुका नहीं करते। लेकिन अब सिस्टम जरा बदला-बदला नजर आ रहा है। दस वर्षों तक भाजपा में बड़े ओहदे पर रहे और अब कांग्रेसी एक बड़े ‘चौधरी’ ने किसी डॉक्टर के तबादले की सिफारिश कर दी। केस इसलिए भी जायज था क्योंकि यह तबादला रिटायरमेंट पर बैठी महिला डॉक्टर का था। डॉक्टर साहिबा ने भी भागदौड़ की। डॉक्टर साहिबा का एक फोटो भाजपा की ही एक पूर्व महिला विधायक के साथ का मिल गया। अब चूंकि पूर्व विधायका भी अपने पति और बेटे के साथ कांग्रेसी हो चुकी हैं, सो डॉक्टर साहिबा का ट्रांसफर भी रुक गया।
बिल्लू का सपना
इनेलो वाले बड़े चौधरी यानी ‘बिल्लू भाई साहब’ की बेबाकी किसी से छुपी नहीं है। अपनी बोल्डनैस के लिए अलग पहचान रखने वाले ये नेताजी खरी-खरी सुनाने से कभी पीछे नहीं हटते। विधानसभा में अकेले होते हुए भी पूरी सरकार पर कई बार भारी पड़ा करते थे। पिछले कुछ समय से प्रदेश में क्राइम की घटनाएं बढ़ी हुई हैं। इसे ही बड़ा मुद्दा बनाते हुए नेताजी ने एक दिन मीडिया के सामने कह ही दिया – मुझे एक दिन का सीएम बनाकर देखो, एक ही दिन में सारे बदमाश प्रदेश छोड़ देंगे। अपने दाढ़ी वाले ‘छोटे काका’ भी कहा कम थे। हाथों-हाथ जवाब देते हुए कहा – आपकी भी सरकार सभी ने देखी है।
भाग्य ‘रेखा’
भाजपा वाली ‘मैडम’ भी इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बनी हुई हैं। रोहतक सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के इस्तीफे के बाद राज्यसभा की एक सीट खाली हुई और उपचुनाव हुआ तो भाजपा वाले कई बड़े ‘भाई लोगों’ ने हाथ-पैर मारे। लॉबिंग भी की। संघ की परिक्रमा भी हुई। कांग्रेस से भाजपाई बने नेताओं ने भी खूब पापड़ बेले लेकिन बात नहीं बन पाई। जब ‘दिल्ली दरबार’ ने प्रत्याशी के तौर पर ‘मैडम’ के नाम की घोषणा हुई तो हर किसी को हैरानी हुई। अब चर्चा है कि महिलाओं के दुख-दर्द को लगातार करीब नौ वर्षों तक समझने वाली मैडम को अब राज्यसभा के साथ-साथ और भी कुछ बड़ा मिल सकता है। इन चर्चाओं ने कई भाजपाइयों की धड़कनें बढ़ाई हुई हैं। अब चाहे किसी की हार्ट-बीट बढ़े या घटे, लेकिन भाग्य की ‘रेखा’ हर किसी के हाथ में तो नहीं होती ना।
मेरी तो खुब चालै
पिछले दिनों भिवानी वाली ‘मैडम’ मीडिया के सामने अपने चिर-परिचित अंदाज में नजर आईं। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस वाले ‘पिता-पुत्र’ के खिलाफ खुलकर बोल रही ‘मैडम’ ने मीडिया वाले भाई लोगों ने सरकार में चलने को लेकर सवाल पूछ लिया। सवाल भी इसलिए सामने आया क्योंकि सफीदों वाले बड़े पंडितजी कह रहे हैं कि सुनवाई नहीं हो रही। जवाब में मैडम ने कहा – दादा को तो मुझे पता नहीं लेकिन मेरी तो सरकार में खुब चालै सै।
-दादाजी।