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चरचा हुक्के पै

‘छोटे स्वामीनाथन’ का कद बादली वाले ‘बड़े कद’ के ‘छोटे स्वामीनाथन’ की दिल्ली दरबार में पकड़ कम नहीं हुई है। बेशक, वह लगातार दूसरी बार चुनाव हार गए। केंद्रीय नेतृत्व ने उनके कद को बनाकर रखा है। दिल्ली में मुख्यमंत्री...
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‘छोटे स्वामीनाथन’ का कद

बादली वाले ‘बड़े कद’ के ‘छोटे स्वामीनाथन’ की दिल्ली दरबार में पकड़ कम नहीं हुई है। बेशक, वह लगातार दूसरी बार चुनाव हार गए। केंद्रीय नेतृत्व ने उनके कद को बनाकर रखा है। दिल्ली में मुख्यमंत्री के फैसले के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के तौर पर बादली वाले नेताजी को भी पूरा मान-सम्मान दिया गया। वैसे भी नेताजी का निर्वाचन क्षेत्र, नयी दिल्ली से सटा हुआ है। रेखा गुप्ता को जैसे ही दिल्ली में भाजपा विधायक दल की नेता चुना गया, ‘छोटे स्वामीनाथन’ ने उनके सिर पर हाथ रखते हुए शगुन के तौर पर 500 रुपये का नोट दिया। दें भी क्यों न, रेखा गुप्ता हरियाणा की रहने वाली जो हैं। हरियाणा में बहू-बेटियों को शगुन देने का पुराना रिवाज भी है। वैसे हरियाणा में ‘बड़े कद’ वाले एक पंडितजी भी हैं, जो सरकार में रहें या न रहें, बहन-बेटियों को शगुन देना कभी नहीं भूलते। महेंद्रगढ़ वाले इन ‘दादा’ के समर्थकों को भी पंडितजी के कद की तरह उनका ‘राजनीतिक कद’ बढ़ने का इंतजार है।

काका का नया ‘ऑपरेशन’

हरियाणा में करीब साढ़े नौ वर्षों तक सीएम रहे और अब केंद्र में हेवीवेट मंत्री अपने हरियाणा वाले ‘काका’ नये एक्सपेरिमेंट करने से कभी पीछे नहीं हटते। जिस हरियाणा में बिजली बिल नहीं भरने का प्रचलन था। आज उस प्रदेश के 5500 के करीब गांवों में नियमित बिल भरने की वजह से 24 घंटे बिजली मिल रही है। ‘नमो’ ने ‘काका’ को केंद्र में भी उनकी पसंद का महकमा थमा दिया। अब ‘काका’ बिजली बचाने की मुहिम में जुटे हैं। जापान का भी उदाहरण दे रहे हैं। वहां एसी के लिए न्यूनतम और अधिकतम टेंपरेचर तय किया हुआ है। न इससे अधिक और न ही कम। ‘काका’ देश में भी इसी फार्मूले को लागू करने की मंशा रखते हैं। अभी तो उन्होंने लोगों से केवल अपील की है कि वे गर्मियों में अपने एसी का टेंपरेचर 23 डिग्री से कम न रखें। बहुत संभव है कि इसे देशभर में अनिवार्य कर दिया जाए। ‘काका’ की एक और खासियत है कि वह जो ठान लेते हैं, उसे सिरे भी चढ़ाकर रहते हैं।

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कांग्रेसियों की फौज

अपने कांग्रेस वाले ‘भाई लोगों’ ने शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों को कुछ अधिक ही सीरियस ले लिया है। नगर निगमों में तो प्रचार के लिए पूरी फौज उतार दी है। प्रदेश स्तर पर ही 32 स्टार प्रचारक बनाए हैं। इसके अलावा, हर निगम के लिए स्टार प्रचारकों की अलग से लिस्ट जारी की है। अब यह देखना रोचक रहेगा कि इनमें से कितने ‘फौजी’ कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए ग्राउंड पर पूरी ईमानदारी से मोर्चा संभालते हैं। वैसे कांग्रेस में अब यह चर्चा भी है कि पार्टी के ‘भाई लोगों’ ने अगर इतनी ही गंभीरता विधानसभा चुनाव में दिखाई होती तो चुनावी नतीजे कुछ और हो सकते थे। उस समय ‘ओवर काॅन्फिडेंस’ साफ दिख रहा था और अब कहीं न कहीं ‘भविष्य’ की ‘चिंता’ कांग्रेसियों के चेहरों पर झलक रही है।

सुमिता की शायरी !

हरियाणा की होम सेक्रेटरी डॉ़ सुमिता मिश्रा पढ़ने-लिखने का भी शौक रखती हैं। उनकी अभी तक कई किताबें आ चुकी हैं। प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में वरिष्ठता के हिसाब से वह दूसरे पायदान पर हैं। विवेक जोशी के चुनाव आयुक्त बनने के बाद अनुराग रस्तोगी को नया मुख्य सचिव बनाया गया है। वरिष्ठता सूची में पहले नंबर पर सुधीर राजपाल और दूसरे पर सुमिता मिश्रा हैं। पिछले पांच-छह दिनों से डॉ़ मिश्रा ‘एक्स’ पर शायरी भी पोस्ट कर रही हैं। उनकी शायरी को मुख्य सचिव के पद को लेकर हुई लॉबिंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, वह पहले से सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। ‘शांति से बेइज्जती सहन करने वाले, वक्त आने पर धज्जियां उड़ा देते हैं’, यह उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा है। 15 फरवरी को उन्होंने एक्स पर लिखा- ‘खेल खेलना है, तो शतरंज खेलो, कम से कम अपने को तो नहीं काटते’! इससे पहले, 13 फरवरी को उन्होंने लिखा था- ‘रिश्तों में गणित का प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक होता है। रिश्तों के लिए भी!’

कांडा संग यारी

सिरसा वाले गोपाल कांडा के साथ भी वक्त हमेशा वक्त पर ही धोखा करता है। पिछले पांच साल विधायक रहे और भाजपा को उस सरकार में विधायकों की जरूरत भी थी, लेकिन पार्टी ने कोई जिम्मेदारी नहीं दी। विधानसभा चुनावों में भी कांडा बंधुओं और भाजपा की यारी देखने को मिली। अब सिरसा नगर परिषद में भी कांडा का भरपूर सहयोग लिया जा रहा है। बेशक, दिल्ली वाले ‘काका’ और हरियाणा के दाढ़ी वाले ‘बिग बॉस’ पूरा मान-सम्मान दे रहे हैं। लेकिन खाली मान-सम्मान से होता ही क्या है। बहरहाल, नेताजी के पास यारी तो है, लेकिन ‘सरकारी लारी’ नहीं है।

छोटी सरकार की ‘मिन्नत’

बेशक, प्रदेश में भाजपा तीसरी बार सत्तारूढ़ हो गई है, लेकिन सिरसा जिले में अभी भी पार्टी के लिए सूखा है। शायद, यही कारण है कि सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल ने सिरसा नगर परिषद चेयरमैन के प्रत्याशी शांति स्वरूप वाल्मीकि के समर्थन में चुनाव प्रचार करते हुए अपील कर डाली कि कम से कम यहां से पार्टी की छोटी सरकार तो बनवा दो। सिरसा सीट से प्रो़ गणेशी लाल ने भाजपा के टिकट पर 1996 में चुनाव जीता था। इसके बाद पूरे जिले से भाजपा का कोई प्रत्याशी किसी भी सीट से विधायक नहीं बन पाया।

हाय! ये बेरुखी

आदमपुर वाले ‘भाई साहब-सह-ट्रेजडी किंग’ के सितारे भी गर्दिश में हैं। ग्रहों की चाल ऐसी बिगड़ी की सबकुछ हाथों से निकल रहा है। पहले बेटा चुनाव हार गया। फिर राज्यसभा के लिए की गई लॉबिंग धरी रह गई। बड़े अरमानों के साथ दूसरी बार कांग्रेस छोड़ी थी, लेकिन अब ‘बेरुखी’ का शिकार से दिख रहे हैं। निगम के चुनाव हैं। खुद के गृह जिले में भी चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है। लेकिन इन नेताजी को पार्टी ने कहीं कोई जिम्मेदारी नहीं दी। वैसे प्रदेश में ट्रेजडी किंग तो बांगर वाले चौधरी को कहा जाता था, लेकिन अब इन्हें प्रदेश का दूसरा ट्रेजडी किंग लोग कहने लगे हैं। अब तो समर्थकों व करीबियों ने भी सलाह देनी शुरू कर दी है कि ग्रहों को शांत करने के लिए पाठ करवा लें और किसी से पतरा भी पढ़वा लें।

कमरा दुर्भाग्य बना

फतेहाबाद की जाखल नगर पालिका में भाजपा प्रत्याशी का नामांकन दाखिल करवाने आए कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह आदमी ठीक है, लेकिन इनकी ग्रह चाल खराब हो गई और वह भी मंत्रालय के कमरे के कारण। देवेंद्र बबली जब मंत्री बने थे तो उनको सचिवालय में नौवीं मंजिल पर कमरा मिला। चार-पांच दिन बाद ही बबली ने छठे फ्लोर पर कमरा ले लिया। मैं उस टाइम एक बार लिफ्ट में बबली से मिला था और उन्हें सलाह दी थी कि छठी मंजिल पर न बैठना। लेकिन उसने पट्टे पर मारा हाथ और कहा- छोड़ बात को, मैं बबली हूं। बेदी ने कहा- यह आदमी तो बढ़िया है, लेकिन कमरा निर्भाग था।

-दादाजी

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