पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 11 दिसंबर
तीन नये कृषि कानूनों को लेकर पिछले 15 दिनों से शांतिपूर्ण और एकजुटता के साथ कुंडली बाॅर्डर पर चल रहे आंदोलन में शुक्रवार को किसान नेताओं में मतभेद दिखे। आशंका जाहिर की जा रही है कि आंदोलन के अगुवा कहीं गुमराह तो नहीं हो रहे है। हालांकि किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन में कोई बिखराव नहीं है और एकजुट होकर सभी आगे बढ़ रहे हैं।
दरअसल, बृहस्पतिवार को किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल, डा. दर्शनपाल सिंह और बलबीर सिंह राजेवाल ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि किसान आंदोलन का प्रारूप बदलेंगे। डा. दर्शनपाल ने कहा था कि ऐसे थोड़े यहां किसानों को बैठाए रखा जा सकता है। इसके लिए वे दिल्ली के दूसरे हाईवे (खास तौर पर जयपुर-दिल्ली हाईवे) रोकेंगे व रेलवे ट्रैक भी जाम कर सकते हैं। इसके लिए रूपरेखा बनेगी, इसके बाद फैसला होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि पंजाब में पहले ही रेल लाइनों के पास उनका धरना चल रहा है और अगर किसान इस बार रेलवे ट्रैक पर बैठा तो समाधान होने तक नहीं हटेगा। इधर, शुक्रवार को इस मुद्दे पर किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने साफ इनकार करते हुए कहा कि रेल रोकने का उनका एजेंडा कभी था ही नहीं। जबकि वे कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे और इनके सामने ही यह बात डा. दर्शनपाल ने रखी थी। हालांकि उन्होंने भी यही कहा था कि जरूरत पड़ी तो ऐसा हो सकता है।
रिलायंस को लेकर भी दो मत
इसी तरह सोनीपत में रिलायंस मार्ट के बाहर दो दिन से धरना दे रहे किसानों को लेकर भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने शुक्रवार को कहा कि यह उनका एजेंडा नहीं है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनका बाॅर्डर के आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है और न ही उन्होंने कोई एलान इस संबंध में किया है। उन्होंने केवल जियो सिम को पोर्ट कराने का किसानों से आह्वान किया है। इससे अलग कोई भी आंदोलन कर रहा है, तो यह उस संगठन की जिम्मेदारी है।
अब इसी मुद्दे पर देर शाम किसान नेता राजेवाल ने कहा कि किसान 14 दिसंबर को भाजपा नेताओं, डीसी कार्यालय के साथ रिलायंस मार्ट पर भी प्रदर्शन करेंगे। जबकि जिस बैठक का हवाला उन्होंने दिया है, उसमें गुरनाम सिंह चढूनी भी मौजूद रहते हैं। सामान्य तौर पर एक साथ कई संगठनों के किसान नेता मीडिया को ब्रीफ करते रहे हैं, लेकिन शुक्रवार को अकेले राजेवाल ने ही जानकारी दी और कहा कि दो ही बातें हैं, कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। आंदोलनकारियों में चर्चा है कि अांदोलन के केंद्र बने िसंघु बॉर्डर से कोई गलत संदेश या अलग-अलग मत जाता है, तो यह आंदोलन के लिए हितकर नहीं माना जा सकता है। ऐसे में किसान नेताओं को देखना होगा कि वह अपनी बातों में अस्पष्टता लेकर न आएं।
पलवल में लगातार छठे दिन नेशनल हाईवे जाम
देशपाल सौरोत/हप्र
पलवल, 11 दिसंबर
पलवल में किसान आंदोलन की लौ राष्ट्रीय स्तर पर और तेज होती जा रही है। शुक्रवार को महाराष्ट्र के शिक्षा एवं सिंचाई मंत्री बच्चू कुंडू के अलावा केरल के राज्य सभा सांसद रागेश, अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय नेता बादल सरोज सहित कई किसान नेताओं ने धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों की आवाज को बुलंद किया। वहीं आंदोलन के चलते छठे दिन भी नेशनल हाईवे जाम रहा। इसकी वजह से दिल्ली-पलवल-आगरा नेशनल हाईवे पर सात-सात किलोमीटर का जाम लगा रहा।
कृषि कानूनों को वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर पलवल मेें केएमपी-केजीपी इंटरचेंज के समीप नेशनल हाईवे नंबर-19 पर पिछले नौ दिनों से मध्यप्रदेश व बुंदेलखंड के किसान धरने पर बैठे हैं। धरना स्थल पर मध्यप्रदेश से अनेक महिलाएं भी पहुंच रही हैं।
महाराष्ट्र के शिक्षा एवं सिंचाई मंत्री बच्चू कुंडू ने कहा कि भाजपा का किसान विरोधी चेहरा अब देश की जनता के सामने आ गया है। आज कृषि कानूनों के विरोध में पूरे देश का किसान सड़क पर है और सरकार है कि उनकी सुनने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री वैसे तो मन की बात करते हैं, लेकिन किसानों की मन की बात आज कोई सुनने को तैयार नहीं है। भाजपा सरकार में किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते आए दिन किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि जब किसानों को ऐसे कानूनों की जरूरत ही नहीं है तो सरकार द्वारा क्यों इन काले कानूनों को जबरदस्ती लागू किया गया। वहीं पूर्व मंत्री कर्ण सिंह दलाल ने अपील की है कि लोग शादियों व अन्य कार्यक्रमों में किए जाने वाले खर्च में कुछ खर्च कम कर किसानों का सहयोग करें, ताकि किसानों का आंदोलन सफल हो और किसानों को न्याय मिल सके।