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आंगनवाड़ी केंद्रों में ‘दीदी’ गायब, बच्चों का पोषण और शिक्षा अधर में

सोनीपत, झज्जर, जींद और हिसार में सबसे ज्यादा रिक्तियां, नायब सरकार ने प्रमोशन व भर्ती का फॉर्मूला बनाया
फाइल फोटो
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हरियाणा के गांवों में आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों और माताओं के लिए पोषण और शिक्षा का अहम केंद्र होते हैं। लेकिन राज्य के हजारों आंगनवाड़ी केंद्रों में कार्यकर्ता ‘दीदी’ महीनों से नदारद हैं। कहीं एक कार्यकर्ता को दो-दो केंद्र देखने पड़ रहे हैं, तो कई जगह सहायिका अकेले ही बच्चों की देखभाल कर रहीं हैं। इसका सीधा असर केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

प्रदेश में कुल 25,962 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। इन पर कार्यरत 25,962 कार्यकर्ता और 25,450 सहायिकाओं में से 23,106 कार्यकर्ता और 20,641 सहायिकाओं के पद भरे हैं। इसका मतलब है कि 2,856 कार्यकर्ता और करीब 4,800 सहायिकाएं लंबे समय से रिक्त हैं। जिलावार स्थिति देखें तो सबसे गंभीर हाल सोनीपत का है, जहां 252 कार्यकर्ता और 378 सहायिका पद खाली हैं। झज्जर, जींद, करनाल और नूंह में भी बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं। हिसार में 146 कार्यकर्ता और 287 सहायिकाओं के पद खाली हैं, जबकि रेवाड़ी और सिरसा में 250 से ज्यादा सहायिका पद रिक्त हैं। सात जिले सोनीपत, झज्जर, जींद, हिसार, करनाल, नूंह और रेवाड़ी में ही आधे से अधिक रिक्तियां केंद्रित हैं। इसके उलट पंचकूला और चरखी दादरी जैसे छोटे जिलों में रिक्तियां अपेक्षाकृत कम हैं। चरखी दादरी में 65 कार्यकर्ता और 109 सहायिका, जबकि पंचकूला में 61 कार्यकर्ता और 111 सहायिका पद रिक्त हैं।

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आंकड़े एक नजर

25962 हरियाणा में कुल हैं आंगनवाड़ी केंद्र

कार्यकर्ता और 4,800 सहायिका के पद खाली

सोनीपत, झज्जर, जींद, हिसार, करनाल, नूंह, रेवाड़ी हैं ज्यादा प्रभावित

सरकार की दोहरी रणनीति

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी ने बताया कि इन रिक्तियों को भरने के लिए दोहरी रणनीति बनाई गई है। पहले, आंगनवाड़ी सहायिकाओं को कार्यकर्ता पद पर प्रमोशन दिया जाएगा। अब तक 25 प्रतिशत प्रमोशन कोटा था, जिसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके बाद शेष रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। सरकार का दावा है कि यह कदम रिक्तियां भरने के साथ-साथ लंबे समय से काम कर रही सहायिकाओं को प्रोत्साहन भी देगा।

विपक्ष हमलावर- गुणवत्ता पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि रिक्तियों के कारण कई कार्यकर्ता तीन-तीन केंद्र संभालने को मजबूर हैं। इससे बच्चों को समय नहीं मिल पाता और पोषण कार्यक्रम भी प्रभावित होते हैं। पूर्व मंत्री और झज्जर विधायक गीता भुक्कल ने सरकार पर निशाना साधा है और कहा कि सरकार बार-बार वादे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर भर्ती की गति बेहद धीमी है। वर्षों से पद खाली हैं और महिलाएं व बच्चे बुनियादी सेवाओं से वंचित हैं।

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