डीजीपी का सख्त संदेश - पुलिसिंग को बनाएं सम्मानजनक और संवेदनशील
डीजीपी सिंह ने अधिकारियों से अपील की कि वे अपनी पुलिसिंग को ‘फियर-फ्री और पॉइंटेड’ बनाएं। उन्होंने कहा कि थानों में आने वाले नागरिकों के साथ व्यवहार ऐसा हो कि उन्हें सम्मान और न्याय दोनों मिले। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि फील्ड में रहकर जनता से संवाद करें, ब्रीफिंग और मीटिंगों में ह्यूमन एंगल को प्राथमिकता दें। डीजीपी सिंह ने अपने पत्र में यह चिंता जताई कि नई पीढ़ी में नशे, लत और हिंसा की प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि युवाओं को सकारात्मक दिशा दें। उन्हें अपराधी नहीं, समाज का निर्माता बनाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल, कॉलेज और बाजारों में पुलिस की जागरूकता मुहिमें चलें ताकि बच्चे और युवा अपराध से दूरी बना सकें। उन्होंने कहा कि युवाओं को डर से नहीं, भरोसे से जोड़ें।
हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा
अपने संदेश में डीजीपी सिंह ने शायर राहत इंदौरी के शेर का हवाला देते हुए लिखा – ‘न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा।’ उन्होंने कहा कि व्यवस्था में सुधार बाहर से नहीं, भीतर से शुरू होगा। डीजीपी ने कहा कि सरकार के पास सीमित संसाधन हैं, लेकिन हमारे पास इच्छाशक्ति है। पुलिसिंग का असली अर्थ है सेवा और सहानुभूति।