नगर निगम क्षेत्रों में भी प्रजापत समाज के लिए जमीन आरक्षित करने की मांग
जैन ने पत्र में उल्लेख किया है कि प्रत्येक नगर निगम क्षेत्र में औसतन 10–12 गांव शामिल होते हैं और उन गांवों में भी प्रजापत समाज के लोग परंपरागत रूप से मिट्टी के बर्तन बनाने और पकाने का काम करते हैं। शहर की बस्तियों में भी यह समाज मिट्टी के बर्तन बनाकर बेचता है। लेकिन जब वे शहर में बर्तन पकाते हैं तो अक्सर पड़ोसी शिकायत कर देते हैं, जिससे उनका काम बाधित होता है।
मेयर जैन ने अपने पत्र के साथ सोनीपत नगर निगम क्षेत्र के गांवों से मिले ज्ञापनों को भी संलग्न किया है। उन्होंने लिखा है कि जब तक स्थानीय निकाय विभाग मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप आदेश जारी नहीं करेगा, तब तक निगम क्षेत्रों में जमीन आरक्षित नहीं की जा सकती।
जैन ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के बाद मिट्टी के बर्तनों का कारोबार तेजी से बढ़ा है। पहले स्थान की कमी के कारण कई परिवारों ने यह काम छोड़ दिया था, लेकिन अब सरकार द्वारा जमीन आरक्षित करने की घोषणा से लोग फिर से इस परंपरागत कारोबार से जुड़ने के लिए उत्साहित हो रहे हैं।