मधुमक्खी पालकों के शहद को भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने की मांग हुई पूरी
पानीपत जिला में अनेक किसानों द्वारा खेती के साथ ही मधुमक्खी पालन भी किया जा रहा है, पर मार्केट में कई बार शहद के रेट कम मिलने से मधुमक्खी पालकों का रुझान कम हो रहा था। पानीपत सहित प्रदेशभर के मधुमक्खी पालक शहद को भी बागवानी विभाग की भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने की मांग कर रहे थे। सरकार ने मधुमक्खी पालकों को शहद का उचित भाव न मिलने से होने वाले नुकसान से बचाने और होने वाले घाटे की संभावनाओं का जोखिम खत्म करने के लिए शहद को भावांतर योजना में शामिल किया है। भावांतर योजना में कच्चे शहद का 120 रुपये प्रति किलो का भाव रखा है। इससे किसानों को पूरा भाव मिलेगा और उनकी आय बढेगी। मधुमक्खी पालकों को बागवानी विभाग के मधु क्रांति पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। मधुमक्खी पालक अब हनी ट्रेड सेंटर, आईबीडीसी, रामनगर जिला कुरुक्षेत्र में अपना शहद बेच सकेंगे।
एक बॉक्स में होती है 5-6 हजार मधुमक्खियां, एक रानी मधुमक्खी : बलबीर सिंह
बुडशाम गांव के मधुमक्खी पालक बलबीर सिंह ने बताया कि अक्तूबर के आखरी सप्ताह से लेकर मार्च माह तक करीब सवा पांच माह तक मधुमक्खियां बाक्सों के अंदर शहद बनाने का काम करती हैं और साल के बाकी महीनों में शहद बनाने का कार्य बंद रहता है। प्रदेश में करीब 70 फीसदी शहद तो सरसों की फसल और बाकी करीब 30 प्रतिशत सफेदा, शीशम, जांडी, अजवाईन, सौंफ, बेरी, बरसीन हरा चारा, मल्टी फ्लोरा में नीम व जामुन आदि, अकेशिया, बाजरा व कपास आदि का होता है। मधुमक्खी द्वारा किसी भी फसल और पेड़-पौधों पर लगे फूलों पर प्रांगण करने के बाद ही शहद बनता है। इसलिए मधुमक्खियों के बाक्सों को फसल व पेड़-पौधों के पास रखा जाता है। एक बॉक्स में 10 फ्रेम होते हैं और एक बाक्स के सभी फ्रेमों पर करीब 5-6 हजार मधुमक्खी सीजन में हो जाती हैं। एक बाक्स में रानी मधुमक्खी होती है और वही सारा कंट्रोल रखती है।
मधुमक्खियों के बॉक्सों को दूसरे प्रदेशों में भी लेकर जाते हैं किसान
पानीपत जिला के मधुमक्खी पालक दूसरे प्रदेशों राजस्थान, हिमाचल, यूपी व जम्मू एंड कश्मीर में अपने मधुमक्ख्यिों के बाक्सों को लेकर जाते हैं और जहां पर फसलों व पेड़-पौधों पर फूल लगे होते हैं बाक्सों को वहां पर रखा जाता है। राजस्थान में बाजरा, सरसों व जांडी के फूलों, हिमाचल में सेब व कश्मीर में अकेशिया पेड़ के फूलों से मधुमक्खियां शहद बनाती हैं। इन बॉक्सों को सिर्फ रात को ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाया जाता है। मधुमक्खियां दिन में तो बॉक्स से बाहर आती-जाती रहती है और रात को बॉक्स में ही रहती हैं।
इस बार टारगेट से ज्यादा होगा शहद का उत्पादन : डीएचओ
डीएचओ डॉ. शार्दूल शंकर ने बताया कि शहद को भावांतर योजना में शामिल करने से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा मिलेगा। विभाग मधुमक्खी पालन वाले बॉक्सों पर 85 प्रतिशत व अन्य यंत्रों 75 प्रतिशत अनुदान देता है। जिला में इस बार 350 बॉक्स का टारगेट है, पर इससे ज्यादा शहद का उत्पादन होने की संभावना है। जिला में अभी 33 लाभार्थियों ने 4,317 बॉक्स लगाये हुए हैं।