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दीपेंद्र हुड्डा से मिला रेलवे पॉइंट्समेन संघ का प्रतिनिधिमंडल, जायज मांगों पर तत्काल समाधान का दिया आश्वासन

पहले लेवरमैन या कैबिनमैन तक पदोन्नति होती थी, जो अब समाप्त हो गई
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अखिल भारतीय पॉइंट्समेन संघ (एआईपीएमए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा से उनके नई दिल्ली निवास पर मुलाकात कर अपनी समस्याओं और मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने पॉइंट्समेन के लिए 12 घंटे के ड्यूटी रोस्टर को समाप्त कर एचओईआर नियमों के अनुसार 60 घंटे साप्ताहिक ड्यूटी लागू करने, जोखिम एवं कठिनाई भत्ते को शीघ्र लागू करने तथा प्रमोशन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की।

दीपेन्द्र ने रेल कर्मचारियों की मांगों को पूरी तरह जायज बताते हुए कहा कि पॉइंट्समेन का कार्य अत्यंत जोखिम भरा और कठिन होता है, जो सीधा यात्री सुरक्षा से जुड़ा है। ऐसे में सरकार की यह संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इन कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करे। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 1961 से लागू 12 घंटे का ईआई रोस्टर अब भी प्रभावी है। रेलवे बोर्ड के एचओईआर नियमों के अनुसार 60 घंटे प्रति सप्ताह का ड्यूटी रोस्टर लागू होना चाहिए।

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इस लंबे कार्यकाल के कारण न तो कर्मचारियों को पर्याप्त आराम मिल पाता है, और न ही वे अपने परिवार के साथ समय बिता पाते हैं। पॉइंट्समेन की ड्यूटी में ट्रेन मूवमेंट, शंटिंग, कोच/वैगन जोड़ना-हटाना, सिग्नल एक्सचेंजिंग जैसी क्रिटिकल सेफ्टी ड्यूटीज़ शामिल होती हैं। फिर भी जोखिम और कठिनाई भत्ते की उनकी मांग वर्षों से लंबित है। पिछले एक वर्ष में ड्यूटी के दौरान 18 पॉइंट्समेन की जान जा चुकी है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सेवा के 30 वर्षों के बाद भी न तो पॉइंट्समेन को कोई वित्तीय लाभ मिल पाता है और न ही प्रमोशन का अवसर। पहले लेवरमैन या कैबिनमैन तक पदोन्नति होती थी, जो अब समाप्त हो गई है। वर्तमान में केवल लेवल-2 तक प्रमोशन सीमित है। जबकि कार्यभार अधिक जटिल और महत्वपूर्ण हो चुका है। दीपेन्द्र हुड्डा ने आश्वासन दिया कि वे इस विषय को संसद व संबंधित मंत्रालय के समक्ष मजबूती से उठाएंगे और सरकार से अपील करेंगे कि इन रेलकर्मियों के हित में तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं।

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