फार्मा ड्रग से मौत अब ‘हत्या’ मानी जाएगी!
डीजीपी ने आदेश दिया है कि फार्मा ड्रग या इंजेक्शन से मरने वाले व्यक्ति के मोबाइल फोन की पूरी जांच की जाए। फोन की कॉल डिटेल और लोकेशन के जरिये उस कैमिस्ट या सप्लायर तक पहुंचा जाएगा, जिसने प्रतिबंधित इंजेक्शन या दवा बेची। डीजीपी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि जो लोग जानते हुए भी ऐसे जहर बेचते हैं, जो किसी की जान ले सकते हैं, वे अपराधी नहीं, हत्यारे हैं। ऐसे लालची व्यापारियों पर हत्या का केस दर्ज कर उन्हें सालों जेल में ठूसा जाएगा।
सिरसा से सोनीपत तक ‘ड्रग इंजेक्शन’ का कहर
हरियाणा के कई जिलों, खासकर सिरसा, फतेहाबाद, जींद और पानीपत में पिछले महीनों में युवाओं की रहस्यमयी मौतों ने पुलिस की नींद उड़ा दी थी। कई मामलों में मृतकों के बाजू या शरीर पर इंजेक्शन के निशान मिले। अब तक ऐसी मौतों में पुलिस सिर्फ औपचारिक जांच कर पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप देती थी। नतीजतन, ड्रग माफिया और प्रतिबंधित दवाओं के व्यापारी बेखौफ कारोबार जारी रखते थे। लेकिन अब डीजीपी के सख्त निर्देशों के बाद जांच का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा।
‘ड्रग माफिया’ पर शिकंजा, सिस्टम में बदलाव
हरियाणा पुलिस अब हर उस मामले में साइंटिफिक एविडेंस जुटाएगी, जिसमें फार्मास्यूटिकल ड्रग का इस्तेमाल हुआ हो। डीजीपी ने जिलों के एसपी को आदेश दिया है कि मृतक का मोबाइल जब्त किया जाए। कॉल और लोकेशन रिकॉर्ड का विश्लेषण किया जाए और ड्रग सप्लायर और केमिस्ट की पहचान कर उनके खिलाफ हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया जाए।
पुलिस की एक ही जाति - खाकी : ओपी सिंह
दूसरी ओर, पुलिस विभाग में जातिवाद को लेकर चल रही चर्चाओं पर डीजीपी ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। हाल में एक आईपीएस अधिकारी और एक एएसआई की आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया पर पुलिस में जातीय मतभेदों की बातें उभरकर आई थीं। डीजीपी ने इस पर विराम लगाते हुए कहा कि हरियाणा पुलिस की सिर्फ एक जाति है—खाकी।उन्होंने लिखा कि पिछले 15 दिनों में 9 करोड़ लोगों ने हमारी बातें सुनीं, 7 करोड़ ने सक्रिय रूप से हमारा समर्थन किया। 99 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हम आपके साथ हैं। यही सबूत है कि जनता पुलिस पर भरोसा करती है।
ठगों-बदमाशों पर तोप, जनता से सलीके से पेश आएं
ओपी सिंह ने अपने संदेश में कहा कि पुलिस कर्मियों को जनता से सलीके और सहृदयता से पेश आना चाहिए। तोप का मुंह ठगों और बदमाशों की ओर रखें, आम लोगों की ओर नहीं। उनकी यह अपील पुलिस विभाग में फैल रहे असंतोष और जातिगत तनाव को शांत करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।
