बेटी ने जिद कर पापा को दी नई जिंदगी
अरविंद शर्मा/निस
जगाधरी, 10 अप्रैल
नारी को यूं हीं त्याग की मूर्ति नहीं कहा जाता। आए दिन इनके हिम्मत व जज्बे के किस्से सामने आते हैं। आज के दौर में बेटियां समाज का सिर ऊंचा कर रही हैं। ऐसी ही मिसाल कुछ साल पहले जगाधरी की खेड़ा परिवार की बेटी दीक्षा खेड़ा ने कायम की थी। पेशे से वकील दीक्षा ने अपनी जिद के आगे पिता को झुकाते हुए लिवर डोनेट कर उनकी जान बचाई थी।
पूर्व चेयरमैन दर्शन खेड़ा लिवर ट्रांसप्लांट के बाद स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं। दीक्षा खेड़ा के अनुसार जून 2019 को उनकी एलएलम की परीक्षा चल रही थी। उन दिनों पापा की तबीयत भी ठीक नहीं थी। पापा की डॉक्टर से अपॉइंटमेंट थी। पापा को लिवर की बीमारी थी। उन्हें क्रॉनिक लिवर डिजीज लीवर सिरोसिस हुआ था। पापा बिजनेस के कारण दीक्षा के भाई दीक्षांत को साथ नहंी ले जाते थे।
इस दौरान पापा को डॉक्टर ने लिवर ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी। पापा डाक्टर से सीधे दीक्षा के पास ससुराल में आ गए। दीक्षा ने बताया पापा फूट-फूट कर रोने लगे। पापा बोले डॉक्टर ने ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया है। हमें डैड डोनर के लिए अप्लाई करना होगा। मायूस पापा मुझसे बोले कि लिवर ट्रांसप्लांट के बाद कौन बचता है। ‘उनके इन शब्दों ने मुझे अंदर से तोड़ दिया था। मैंने पापा को हिम्मत बंधाई।’ दीक्षा के अनुसार मैं पूरी रात लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में गूगल पर रिसर्च करती रही। ‘मैंने मन ही मन में अपना लिवर पापा को देना तय किया। मैंने अपने पति से भी बात कर ली। उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया। हम मेदांता में डॉ. एएस सोइन से मिले। 12 जुलाई को लगभग सुबह के 3 बजे थे, पापा और मुझे प्री ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया। मुझे लगभग रात के 9 बजे ऑपरेशन थिएटर से आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। पापा को अगले दिन यानी 13 जुलाई को सुबह 4 बजे के करीब ऑपरेशन थिएटर से आईसीयू में शिफ्ट किया गया। दीक्षा खेड़ा कहती हैं कि यदि ठान ले तो बेटियां कुछ भी कर सकती हैं।