बलराम बंसल/निस
होडल, 28 मार्च
हरियाणा टूरिज्म का दिल्ली व आगरा के बीच स्थित डबचिक टूरिस्ट कॉम्पलेक्स होडल किसी जमाने में पर्यटकों से गुलजार रहता था, वहीं अब यहां वीरानी है। होडल राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित डबचिक टूरिस्ट कॉम्पलेक्स बनाने का मुख्य उद्देश्य दिल्ली से आगरा की ओर जाने वाले विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना था। एक समय था जब विदेशी पर्यटक भी इसे पसंद करते थे। यहां बनाई गई झील में मोटरबोट में घूमने का आनंद ही कुछ और था। यह पर्यटन स्थल दिल्ली से वृंदावन जाने वाले श्रद्धालुओं के लिये भी आकर्षण का केन्द्र था। डबचिक का नाम डक (बत्तख) के नाम पर रखने के कारण ही भारी संख्या में यहां पर बत्तखों को रखा गया था। विदेशी पर्यटकों के भारी आवागमन को देखते हुए यहां एक रेस्टोरेंट व बार भी खोला गया था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल विहारी वाजपेयी को भी इस पर्यटक स्थल से बेहद लगाव था। वह गर्मियों में यहां ठहरते थे। यहां पर चश्मेबद्दूर, मेंहदी रंग लाएगी व जीने दो फिल्मों की शूटिंग भी हुई थी।
डबचिक में पहले 90 कर्मचारियों का स्टॉफ हुआ करता था लेकिन अब केवल 19 अस्थाई व स्थाई कर्मचारियों को लगाया गया है। हरियाणा टूरिज्म विभाग द्वारा इस जाने-माने टूरिस्ट कॉम्पलेक्स की उचित देखभाल न करने तथा विदेशी पर्यटकों के दिल्ली ताज एक्सप्रेक्स वे से आगरा व वृन्दावन आने-जाने के कारण यह कॉम्पलेस अपना अस्तित्व खो रहा है। यहां अब बार को बंद कर दिया गया है व एक समय इसकी पहचान रही बत्तखों को भी कोरोना काल के बाद हटा दिया गया। आकर्षण का केन्द्र रहने वाली झील का पानी भी पूरी तरह से सूख चुका है। बोटिंग करने आने वाले पर्यटकों का आवागमन भी पूरी तरह से बंद हो चुका है।
यहां अक्तूबर, 2023 में आमदनी 8 लाख 24 हजार, नवंबर में 7 लाख बीस हजार, दिसंबर में 9 लाख, जनवरी में 6 लाख व फरवरी माह में 8 लाख रूपए रह गई है। जबकि प्रत्येक माह कर्मचारियों के वेतन के लगभग 10 लाख रूपए के अलावा कर्मचारियों की वर्दी, देखरेख व अन्य संसाधनों पर लाखों रूपए प्रति माह का खर्चा है। इस कारण हरियाणा टूरिज्म की ‘सोने की चिड़िया’ अब मुसीबत में है। हरियाणा टूरिज्म विभाग अब इसको बंद करने के बारे में सोचने को मजबूर है।
महाराजा अग्रसेन सेवा समिति प्रधान राजेश गर्ग का कहना है कि होडल का डबचिक टूरिस्ट कम्पलेक्स में पहले देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता था लेकिन अब पर्यटकों ही संख्या लगातार घट रही है।
क्या कहते हैं मैनेजर
काम्पलेक्स मैनेजर सत्यप्रकाश का कहना है कि यह झील प्राकृतिक न होने के कारण इसमें पानी भर जाने पर उसको जमीन सोख लेती है। इसके अलावा बर्ड फ्लू के दौरान यहां पर रखी गई बत्तखों को दूसरे स्थान पर भेज दिया गया था। उसके बाद उनको यहां नहीं लाया गया। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले पर्यटकों के खानपान का पूरा ध्यान दिया जाता है और पर्यटकों की सख्या बढ़ाने के लिए भी विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।