गुरुग्राम, 19 जुलाई (हप्र)
बेशक सरकार का जोर एंटी कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम को सफल बनाने पर है लेकिन साइबर सिटी के लोग वैक्सीन की जबरदस्त किल्लत का सामना कर रहे हैं। जिन सेंटर्स पर 200 से 500 डोज तक प्रतिदिन लगाई जा रही थी वहां अब यह संख्या 50 तक सीमित कर दी गई है। पहली डोज सरकारी स्तर पर उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं।
गुरुग्राम में कोविशील्ड, कोवैक्सीन व रूस की स्पूतनिक वी लगाई जा रही हैं। स्पूतनिक वी का टीकाकरण फिलहाल एक ही स्थान पर सीमित लोगों को ही किया जा रहा है। फिलहाल इस वैक्सीन के सिर्फ 5 हजार स्लाॅट ही उपलब्ध हैं। इस वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज के बीच सिर्फ 21 दिन का ही अंतर रखना होता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग संभल-संभलकर कदम रख रहा है कि सिर्फ उतने ही लोगों को पहली डोज दी जाए जिन्हें इसी स्टाॅक में से दूसरी डोज के लिए दिक्कतें न उठानी पड़ें। फिलहाल 100 स्लाॅट हर रोज सिर्फ एक सेंटर पर दिए जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर कोवैक्सीन की पहली डोज के स्लाॅट पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। लोगों को कोवैक्सीन की दूसरी डोज ही दी जा रही है। निर्धारित सेंटर्स पर कोवैक्सीन की पहली डोज की मांग के बावजूद विभागीय अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में कोवैक्सीन लगवाने की चाह रखने वाले पहली डोज निजी अस्पतालों में शुल्क का भुगतान करके लगवा रहे हैं। प्रीति भारद्वाज, अनिरूद्ध चहल व साक्षी मेहरा का कहना है कि काफी दिन प्रयास व इंतजार के बाद भी जब पहली डोज सरकारी स्तर पर नहीं मिल पाई तो निजी अस्पताल में 1250 रुपये का भुगतान करके लगवानी पड़ी। इन्हें विश्वास है कि निर्धारित अवधि पूरी होने पर दूसरी डोज सरकारी स्तर पर लगवा सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि कोवैक्सीन का सीमित स्टाॅक ही एलोकेट होता है। इस कारण चाहकर भी पहली डोज के लिए शिविर नहीं लगा पा रहे।
स्वास्थ्य विभाग के पास कोविशील्ड का स्टाॅक भी सीमित है। इसके चलते अब इस वैक्सीन की पहली डोज के स्लाॅट्स की संख्या 50 डोज प्रति सेंटर कर दी गई है। इससे पहले यह संख्या 200 से 500 डोज प्रतिदिन थी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वैक्सीनेशन कार्यक्रम जारी रहे, इसीलिए प्रतिदिन स्लाॅट की संख्या सीमित कर दी गई है।
कोवैक्सीन व स्पूतनिक की मांग काफी ज्यादा है। लोग कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाने के लिए आते हैं लेकिन प्राथमिकता उन्हें ही दी जा रही है जिन्हें दूसरी डोज लगनी है। क्योंकि पहली डोज के बाद दूसरी डोज नहीं लगी तो चक्र टूटता है। स्टाॅक सीमित होने के कारण संभलकर टीकाकरण किया जा रहा है। लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण हमने कोई सेंटर बंद नहीं किया।
-डाॅक्टर एमपी सिंह, डिप्टी सिविल सर्जन एवं प्रभारी वैक्सीनेशन ड्राइव