कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 30 मई
मेडिकल हब के नाम से पहचाने जाने वाले हिसार शहर में आसपास के जिलों के अलावा पंजाब और राजस्थान से भी मरीज आकर अपना इलाज करवाते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण प्रदेश में चल रे लॉकडाउन के बाद अब अन्य लोगों की तरह अधिकतर अस्पतालों के डॉक्टर व दवा विक्रेता भी खाली बैठे हैं। कोविड सेंटर में परिवर्तित हुए अस्पतालों को छोड़ दें तो शहर के बाकी अस्पतालों में सिर्फ मोबाइल व फोन की घंटियां ही बजती रहती हैं। कारण यह है कि ग्रामीण और आसपास के जिलों व प्रदेश के लोग उपचार के लिए हिसार नहीं आ पा रहे हैं। सरकारी अस्पताल में सामान्य ओपीडी सुबह 8 से 11 बजे तक चलाई जा रही है। समय कम होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लोग इलाज के लिए नहीं आ पा रहे हैं। इसके अलावा गरीब लोग पैसों की कमी के चलते निजी अस्पतालों में भी नहीं जा रहे हैं। मरीजों की संख्या मात्र 10 से 40 प्रतिशत तक रही है। मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या बाल रोग विशेषज्ञ व चर्म रोग विशेषज्ञ के अस्पतालों में कम हुई है। यहां पर न सिर्फ डाक्टर बल्कि दवा विक्रेता भी हाथ पर हाथ धरकर बैठे हुए हैं। बाकी अस्पतालों में भी काम न के बराबर ही मरीज आ रहे हैं लेकिन लगभग हर डॉक्टर फोन पर मरीजों को सलाह देने में व्यस्त रहता है।
ओपीडी सुबह 8 से 11 बजे तक
सामान्य अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. गोविंद गुप्ता ने बताया कि मुख्यालय के आदेश के बाद गत 15 अप्रैल से अस्पताल में ओपीडी का समय कम किया गया है। अब सुबह 8 बजे से 11 बजे तक ही चिकित्सक ओपीडी में बैठते हैं जिससे मरीजों की संख्या भी कुछ कम हुई है लेकिन अन्य मरीजों के लिए टेलीमेडिसन की सुविधा भी सरकार ने शुरु की हुई है। उन्होंने बताया कि सुबह तीन घंटे की ओपीडी में सभी विशेषज्ञ चिकित्सक बैठते हैं।
बच्चों में खांसी-जुकाम हुआ कम
हिसार के एक बाल रोग विशेषज्ञ अस्पताल के दवा विक्रेता आशीष ने बताया कि अस्पताल में दवा बिक्री में 85 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस समय सिर्फ बुखार व डायरिया से पीड़ित बच्चों को ही उनके अभिभावक लेकर आते हैं। खांसी-जुकाम का कोई भी मरीज अस्पताल में नहीं आ रहा है। इसके अलावा वैक्सीनेशन का काम भी काफी कम हो गया है। ज्यादातर लोग केमिस्ट से खांसी और जुखाम की दवा लेकर काम चला रहे हैं। कुछ लोग फोन पर सलाह लेकर डॉक्टरों से दवा लिखवा रहे हैं।
राजस्थान, पंजाब से नहीं आ पा रहे हैं मरीज
हिसार के एक चर्म रोग विशेष अस्पताल के केमिस्ट बजरंग ने बताया कि उनके पास 25 प्रतिशत काम है क्योंकि हिसार के अधिकतर अस्पतालों में आसपास के जिलों के अलावा राजस्थान व पंजाब से रोगी आते हैं जो लॉकडाउन के कारण आ नहीं पा रहे हैं। हालांकि इमरजेंसी में कुछ मरीज वहां से भी आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुबह के समय लॉकडाउन में मिली छूट के बाद मरीजों का आना कुछ बढ़ा है। कोरोना के कम होने के बाद सामान्य बीमारी से ग्रस्ित लोग इलाज कराने पहुंचेंगे।
निजी क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं का हाल
जनरल फिजिशियन की बात करें तो उनके पास अब सिर्फ 35 से 40 प्रतिशत मरीज ही अस्पताल आ रहे हैं और बाकी मरीज फोन पर काम चला रहे हैं। इसी प्रकार बाल रोग विशेषज्ञों के पास 15 से 20 प्रतिशत मरीज ही आ रहे हैं। यही हाल चर्म रोग विशेषज्ञों का है। अस्पतालों में सर्जरी की संख्या भी काफी कम हो गई है। डॉक्टरों का कहना है कि एक तो लोगों को कोरोना संक्रमण का भय है। इसके कारण अब सिर्फ वही मरीज घर से निकल रहा है जिसको इमरजेंसी हो। बाकी सब फोन पर ही सलाह लेकर अपना काम चला रहे हैं। डॉक्टरों की सलाह पर घर बैठे ही मरीज अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर बीमारियों से बच रहे हैं।
शाम की ओपीडी बंद की, सर्जरी हुई कम
शहर के सबसे बड़े निजी अस्पताल जिंदल अस्पताल के निदेशक डॉ. शेखर सिन्हा ने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन 50 से ज्यादा डाक्टर अपनी ओपीडी में बैठते हैं, लेकिन पहले की तुलना में मात्र 20 से 25 प्रतिशत मरीज ही अस्पताल में आ रहे हैं। इसलिए शाम की ओपीडी अभी बंद कर दी है। अस्पताल में होने वाले ऑपरेशन भी अब न के बराबर हो गए हैं। इसके पीछे के कारण पर उन्होंने बताया कि जो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं, उनकी कोविड-19 के कारण मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा इस समय सभी लोग अपने नजदीकी अस्पताल में ही जाना पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों के फोन आते हैं, चिकित्सक उनको फोन पर भी सलाह देते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों से नहीं आ पा रहे मरीज
पुराने शहर में क्लीनिक का संचालन करने वाले डॉ. अरुण ढींगड़ा ने बताया कि उनके पास भी 10 से 15 प्रतिशत ही मरीज आ रहे हैं लेकिन फोन की संख्या काफी बढ़ गई है। फोन करने वाले मरीज न सिर्फ अपनी बीमारी के बारे में बल्कि कोविड-19 रिपोर्ट व अन्य जांच रिपोर्ट व्हाट्सअप करके भी सलाह ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव से आने वाले मरीज लगभग बंद हो गए हैं। अब वही मरीज गांव से आता है जिसको इमरजेंसी हो।