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दो फर्जी कंपनियों से करोड़ों का खेल उजागर, 91 बैंक शाखाएं जांच के घेरे में

7 महीने में 51.82 करोड़ का फर्जी लेन-देन उजागर
डीजीपी शत्रुजीत कपूर की फाइल फोटो।
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हरियाणा पुलिस की साइबर यूनिट ने पानीपत में साइबर अपराधियों को करारा झटका देते हुए दो फर्जी कंपनियों का पर्दाफाश किया है। इन कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये का संदिग्ध लेन-देन किया गया था। पुलिस की कार्रवाई ने न केवल इस संगठित नेटवर्क को तोड़ा है, बल्कि बैंकिंग सिस्टम में सुरक्षा खामियों की ओर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

जांच में सामने आया कि ‘ट्रू आर्टिफिशियल ज्वेल्स प्राइवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी पूरी तरह फर्जी है। इसने पानीपत स्थित बैंक ऑफ इंडिया शाखा में खाता खोलकर सिर्फ सात महीने में 51.82 करोड़ रुपये का लेन-देन किया। खाते से 51.79 करोड़ रुपये पहले ही निकाल लिए गए थे और केवल 3.13 लाख रुपये ही बचे। कंपनी का पता और निदेशक मंडल की जानकारी भी झूठी पाई गई। मौके पर किसी कंपनी का अस्तित्व नहीं मिला। यह कंपनी महज़ ठगी और अवैध धन को घुमाने का जरिया थी।

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इसी तरह पुलिस ने ‘इंडो कैरियर एजेंसी’ नामक फर्जी कंपनी का भी भंडाफोड़ किया। इस खाते में 24 दिसंबर, 2024 से 27 अगस्त, 2025 तक 32.92 लाख रुपये जमा हुए, जिनमें से 31.70 लाख रुपये पहले ही निकाल लिए गए और मात्र 1.21 लाख रुपये खाते में शेष मिले। इस कंपनी का पता भी फर्जी निकला और मौके पर इसका कोई कार्यालय नहीं मिला।

संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान

जांच में जिन नामों का खुलासा हुआ है उनमें प्रमोद कुमार, धर्मेंद्र कुमार, निशांत और सनी कुमार शामिल हैं। पुलिस के अनुसार ये लोग सुनियोजित आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा हैं, जिनका मकसद ठगी के पैसों को तेजी से निकालकर कानून की पकड़ से बचना था।

91 बैंक शाखाएं राडार पर

पुलिस ने अब तक राज्यभर में 91 संदिग्ध बैंक शाखाओं की पहचान की है। केवल पानीपत जिले में ही 4 ऐसी शाखाएँ मिली हैं, जहां म्यूल अकाउंट्स चलने की आशंका है। पुलिस ने इन शाखाओं को चिन्हित कर जांच शुरू कर दी है। करनाल और यमुनानगर जिलों में पुलिस ने संदिग्ध शाखाओं पर छापेमारी भी की है। यहां बैंक रिकॉर्ड खंगाले गए और खातों की गहन जांच की जा रही है। केवाईसी मानकों की अनदेखी, खाता खोलने में प्रक्रियागत खामियाँ और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत की भी जांच की जा रही है।

साइबर यूनिट की लगातार सफलताएं

हरियाणा पुलिस की साइबर यूनिट इससे पहले भी कई बड़े म्यूल अकाउंट रैकेट्स का पर्दाफाश कर चुकी है और करोड़ों रुपये पीड़ितों को वापस दिला चुकी है। पुलिस का फोकस सिर्फ अपराधियों को पकड़ना ही नहीं, बल्कि जनता को जागरूक करना और वित्तीय संस्थानों की जवाबदेही तय करना भी है।

कॉट्स

यह कार्रवाई साइबर अपराधियों के लिए साफ संदेश है कि वे अब किसी फर्जी पहचान, म्यूल अकाउंट या शेल कंपनी का सहारा लेकर बच नहीं पाएंगे। पुलिस पूरे संकल्प के साथ अपराधियों को पकड़कर कानून के कटघरे में लाएगी। नागरिकों से अपील है कि वे वे किसी भी संदिग्ध बैंक खाता, फर्जी कंपनी या अवैध लेन-देन की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या साइबर क्राइम पर दें। समय पर दी गई जानकारी न केवल लोगों की मेहनत की कमाई बचा सकती है, बल्कि अपराधियों को पकड़ने में भी मददगार साबित हो सकती है।

-शत्रुजीत कपूर, डीजीपी हरियाणा।

 

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