चंडीगढ़, 25 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में ग्राम पंचायतों की जमीन से होने वाली करोड़ों रुपये की कमाई में हेराफेरी का मामला सामने आया है। यह पैसा पंचायत खाते में जमा करवाने की बजाय अफसरों ने खुर्द-बुर्द कर दिया। राज्य के बाढ़डा, भिवानी, पलवल, दादरी सहित दर्जनों ब्लाक में इस तरह के खुलासे हुए हैं। अब पूरे प्रदेश में इसकी जांच होगी। सभी ब्लाक से पंचायती जमीनों और इनसे होने वाली सालाना आय का रिकार्ड तलब किया गया है।
दरअसल, पंचायती जमीनों को हर साल कृषि कार्यों के लिए ठेके पर दिया जाता है। प्रदेश में ठेके के रेट अलग-अलग एरिया और जमीन के हिसाब से हैं। जीटी रोड बेल्ट पर ठेके का रेट प्रति एकड़ सालाना 50 से 70 हजार रुपये तक है। अहीरवाल एरिया में 15 से 30 हजार रुपये तक प्रति एकड़ के रेट हैं। जिस एरिया में पानी का पूरा प्रबंध है और सालाना दो से तीन फसलें ली जा सकती हैं, वहां रेट काफी अधिक हैं। बोली के जरिये हर साल ठेका छोड़ा जाता है।
नियमों के हिसाब से ठेकों से आने वाला पैसा पंचायतों के खातों में जमा होना चाहिए। सैकड़ों की संख्या में ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जिनका पैसा तो आया, लेकिन वह खातों में जमा होने की बजाय खुर्द-बुर्द कर दिया गया। इस बाबत बड़ी संख्या में शिकायतें चंडीगढ़ पहुंची हैं। विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने नोटिस लेते हुए पूरे प्रदेश का रिकार्ड तलब किया है। पंचायतों की कुल भूमि के अलावा उससे हुई आय और बैंक खातों का ब्योरा मांगा है। आरोप हैं कि बीडीपीओ ऑफिस के लेवल पर यह फर्जीवाड़ा हुआ है।
इससे पहले, पलवल जिले में 25 करोड़ रुपये से अधिक के गबन का मामला सामने आ चुका है। यहां विकास कार्यों के लिए 60 करोड़ रुपये के करीब खर्च किए गए। इसमें से 30 से 40 प्रतिशत ऐसे काम हैं, जो ग्राउंड पर हुए ही नहीं। कागजों में काम दिखाए गए और बिल पास करके अधिकारियों ने पैसे हजम कर लिए। इस मामले में कार्रवाई करते हुए पंचायत मंत्री दर्जनों अधिकारियों व कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करवा चुके हैं। अब दूसरा केस भी दर्ज करवाने की तैयारी है। मनरेगा कार्यों में भी घोटाला हुआ है। पंचायत विभाग द्वारा कैथल में 5 करोड़ से अधिक का सफाई ठेके में घोटाला, सिरसा में पौने चार करोड़ का स्ट्रीट लाइट घोटाला और हिसार व भिवानी जिला में भी विकास कार्यों में करोड़ों रुपये के घोटाले हुए हैं।
घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश
पलवल के 25 करोड़ के घोटाले को चंडीगढ़ के स्तर पर दबाने की कोशिश हुई। सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) के नोटिस में भी पूरा घटनाक्रम आ चुका है। इस घोटाले की जांच का जिम्मा विभाग की ही विजिलेंस विंग को सौंपा जाना चाहिए था, लेकिन इसकी जांच पलवल के एडीसी को सौंप दी गई। मंत्रालय ने इस पर भी नाराज़गी जताते हुए अधिकारियों से पूछा कि यह फैसला किस स्तर पर और किन नियमों के तहत लिया गया।
दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
‘मैंने अधिकारियों को कह दिया था कि विभाग में धांधली नहीं चलेगी। सिस्टम में 10 प्रतिशत लोग भ्रष्ट हैं, जो पूरे विभाग को बदनाम कर रहे हैं। पंचायत विभाग में ‘ऑपरेशन क्लीन’ शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर विभाग को चुस्त-दुरुस्त किया जाएगा। पंचायती जमीनों की बोली के पैसों में धांधली सामने आई है। पूरे प्रदेश का रिकार्ड तलब किया है। इसकी जांच होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’
-देवेंद्र सिंह बबली, विकास एवं पंचायत मंत्री