पानीपत, 2 मार्च (हप्र)
मौसम का मिजाज बदलने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। शुक्रवार देर शाम से शुरू हुई बूंदाबांदी शनिवार को भी जारी रही और दिन में कई बार बूंदाबादी होती रही। शनिवार शाम को तेज बारिश के दौरान शहर सहित कई स्थानों पर जमकर ओले पड़े। बारिश के दौरान तेज हवाएं चलने से खेतों में खड़ी फसलें गिरने के कगार पर पहुंच गई और कई क्षेत्रों मे तो फसलें गिर भी गई हैं। अनाज मंडी में सरसों की फसल लेकर आने वाले किसानों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। मंडी में सरसों की फसल को बारिश से बचाने के लिए अभी कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं, लेकिन आढ़तियों ने ही किसानों को सरसों की ढेरियों पर तिरपाल ढकने के लिए दी है।
तापमान में भी पांच डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। वहीं जिस तरह से मौसम में बदलाव हो रहा है उसे देखकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों को पकी फसलों के गिरने का डर सता रहा है। फसलें गिर गई तो गेहूं की पैदावार कम होगी। कृषि विभाग के उप निदेशक आदित्य डबास का कहना है कि इस बारिश से फसलों में कोई नुकसान नहीं होगा, इससे फसलों में लगा झाला धूल जाएगा और फसलें नए रूप में होकर निखेरगी और अच्छी प्रकार से परिपक्व होगी। मौसम विभाग के अधिकारी डा. आशीष ने बताया कि तीन मार्च तक बारिश की संभावना है, आसमान में बादल छाए रह सकते हैं। अभी क्षेत्र में केवल हल्की बौछारें हैं। शुक्रवार और शनिवार बूंदाबांदी हुई है।
40 मिनट तक बरसे ओले
असंध (निस) : विभिन्न गांवाें में मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि के कारण हजाराें एकड़ गेहूं, सरसाें की फसल नष्ट हाे गई। 40 मिनट तक चली ओलावृष्टि ने किसान की मेहनत पर पानी फेर दिया। असंध के विधायक शमशेर सिंह गाेगी ने कहा कि किसानाें की गेहूं की सारी की सारी फसल नष्ट हाे गई है। सरकार काे किसानाें काे प्रति एकड़ 50 हजार रुपए मुआवजा दे।
कलायत (निस) : खेतों में खड़ी गेहूं की फसल भी बिछ गई है। सरसों की फसल भी प्रभावित हुई है। किसान गोपाल सिंह, पवन व सुखबीर ने बताया कि फसल खेतों में बिछ गई है, उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी और उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।
किसानों के अरमानों पर फिरा पानी
बरवाला (निस) : भारी वर्षा व ओलावृष्टि से सरसों, गेहूं, सब्जियां तथा हरे चारे की फसलें नष्ट हो गई। ओलावृष्टि के कारण खेतों व सड़कों पर ओलों की सफेद चादर बिछ गई। सरसों की फसल तो लगभग तैयार थी जो 15-20 दिन में काटने वाली थी। भारी ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। गेहूं की फसल भी बारिश, ओलावृष्टि और फिर तेज हवाओं के कारण खेतों में ही बिछ गई। बरवाला व आसपास के सभी गांवों में यही स्थिति है। किसानों को इस कारण भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
खेतों में ‘सफेद चादर’
ऐलनाबाद (निस) : राजस्थान की सीमा से लगते कुम्हारिया, खेड़ी, गुसाईयाना, कागदाना, चाहरवाला, जोगीवाला, रामपुरा, गिगोरानी, शाह्पुरिया, शक्कर मंदोरी, रुपाणा, नहराना, जसानिया सहित कई गांवों में बारिश के साथ ओलावृष्टि शुरू हो गई। यहां भी सरसों, गेहूं और चने की फसल को नुकसान हुआ है। चोपटा खंड में किसानों ने 38000 हेक्टेयर में गेहूं, 22000 हेक्टेयर में सरसों, 2100 हेक्टेयर में चना, जौ व अन्य फसलों की बिजाई की है। किसानों का कहनाा है कि अब फसलों का उत्पादन गिर जाएगा। 12 मिनट तक ओले ही ओले गिरे। इससे धरती सफेद हो गई। कृषि विकास अधिकारी डॉ़ शैलेंद्र सहारण ने कहा कि चोपटा खंड में गेहूं, सरसों, चना, जौ व अन्य फसलों की बिजाई की हुई है। कई गांवों में बारिश व ओलावृष्टि की सूचना मिली है।
फसलों पर स्प्रे न करने की सलाह
जगाधरी (निस) : शनिवार को बिगड़ते मौसम ने किसानों की बेचैनी बढ़ा दी। सुबह व शाम के समय तेज हवा के साथ हुई बरसात से जहां मौसम सर्द हो गया, वहीं फसलों को लेकर किसानों की फिक्र भी बढ़ गई। कृषि विशेषज्ञों का कहना था कि अभी मौसम खराब रहने की संभावना है। शनिवार को जगाधरी, बूडिया, दादुपुर, खारवन, महिलांवाली, खदरी, कनालसी, पंजेटो, मामली, भेड़थल, परवालो, औदरी इलाकों में अच्छी बरसात हुई। बरसात के साथ चली तेज हवा से गेहूं व सरसों की फसल भी गिर गई। क्षेत्र के किसान नरेंद्र सिंह, कर्णसिंह, अजब सिंह आदि का कहना था कि अब 80 फीसदी गेहूं की फसल निसर गई है। वहीं कृ षि विभाग के सहायक पौध संरक्षण अधिकारी डा. सतीश कुमार का कहना है कि अभी मौसम और बिगड़ने के आसार हैं। किसान अभी कुछ दिन फसलों में सिंचाई व दवाई का स्प्रे बिल्कुल न करें।