पंचकूला, 14 जुलाई (हप्र)
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में पिछले कई वर्षों से कथित भ्रष्टाचार की परतें खुलने के बाद काउंसिल की इमेल आईडी से संबंधित पासवर्ड लेकर एक महिला कर्मचारी भाग गई है। यह बात काउंसिल के सुपरिंटेंडेंट सतपाल गर्ग ने एक आरटीआई के जवाब में काउंसिल के पूर्व प्रधान केसी गोयल को कही।
सतपाल गर्ग ने बताया कि पिछले 10 दिन से यह महिला कर्मचारी न तो कार्यालय में आई और न ही किसी का फोन उठा रही है। केसी गोयल ने बृहस्पतिवार सुबह आरटीआई का जवाब मिलने के बाद काउंसिल के सुपरिंटेंडेंट से बात की, तो उसने कहा कि धनेश अदलखा की प्राइवेट सेक्रेटरी निशु को कई बार फोन किया है, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो रहा।
इस कारण अब कंप्यूटर से संबंधित पूरा काम ठप हो गया है। काउंसिल के पूर्व प्रधान और सदस्य केसी गोयल ने आरटीआई लगाकर पिछले 3 साल में काउंसिल कार्यालय को चलाने के लिए पास किए गए बजट, रजिस्ट्रेशन से संबंधित रिकार्ड और धनेश अदलखा के प्रधान बनने के लिए हुई बैठक की प्रकि्रया की जानकारी मांगी थी। जिस पर सुपरिंटेंडेंट सतपाल गर्ग ने बताया कि हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद एक महिला कर्मचारी आॅफिस का आॅनलाइन रिकार्ड लेकर भाग गई है। सुपरिंटेंडेंट सतपाल गर्ग ने आरटीआई में लिखित में जवाब दिया कि इस महिला कर्मचारी ने मामले में खुलासा होने के बाद आॅफिस छोड़ दिया और उसके बाद फोन उठाना बंद कर दिया है। इस महिला कर्मचारी के पास आॅफिस का कंप्यूटर सिस्टम में दर्ज सारा रिकार्ड है।
गर्ग के मुताबिक वह महिला अब कार्यालय में आ नहीं रही है। केसी गोयल के पास सतपाल गर्ग से बातचीत की पूरी रिकार्डिंग भी है, जिसमें वह निशु का बार-बार नाम लेकर उसे धनेश अदलखा की पीए बता रहे हैं। सतपाल गर्ग ने कहा कि कार्यालय में रखी प्राइवेट महिला के पास ही आॅफिस का सारा आॅनलाइन रिकार्ड रहता था। डायरी डिस्पैच के अलावा आॅफिस के सभी रिकार्ड, ईमेल आइडी का पासवर्ड भी इसके पास है।
सुपरिंटेंडेंट सतपाल गर्ग ने लिखा है कि वे खुद भी छुट्टी पर थे, क्योंकि वे स्वास्थ्य कारणों से आॅफिस नहीं आ पा रहे थे। आरटीआई में लिखा गया कि पूरा काउंसिल कार्यालय सस्पेंड हो गया है, जबकि काउंसिल के तथाकथित कर्मचारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, और आज भी कार्यालय में आ रहे हैं।
विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक को लिखा पत्र
केसी गोयल ने मामले में विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर को लिखे पत्र में बताया कि हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल से 6 मार्च 2019 के बाद जो भी रजिस्ट्रेशन जारी की गई, उनमें अधिकांश रजिस्ट्रेशन 70 से लेकर 80 हजार रुपये लेकर जारी की गई। सभी प्रधान धनेश अदलखा और रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा के हस्ताक्षरों से ही जारी हुई हैं। रिश्वत वसूली के लिए दलालों को रखा गया था और रिश्वत का पैसा आने के बाद फार्मासिस्टों के लाइसेंस इन दलालों को सौंप दिए जाते थे, लेकिन अभी तक केवल एक दलाल और उपप्रधान की ही गिरफ्तारी हुई है। कई दलाल अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।