पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 8 अगस्त
मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विश्वविद्यालय में बहुचर्चित लाइब्रेरी, कंप्यूटर सेंटर व कंन्वेंशन सेंटर के निर्माण में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। इसे लेकर दो साल पहले तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा गठित टीम ने जांच की थी। इसकी रिपोर्ट में निर्माता एजेंसी एचएसआरडीसी के साथ यूनिवर्सिटी को भी कटघरे में खड़ा किया गया था। अब इस गड़बड़ी के जवाब में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपनी सफाई दी है। इसमें बड़ा खुलासा हुआ है। पत्र में कहा गया है कि आज तक भी ये दोनों भवन विवि को हैंडओवर नहीं किए गए हैं। खास बात यह है कि इन भवनों के न केवल निर्माण में डेढ़ साल की बजाय 10 साल लग गए, बल्कि इनकी लागत भी करीब 40 करोड़ से 70 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। ऐसे में विवि को करीब 30 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ा।
यह था मामला : वर्ष 2006 में मुरथल के इंजीनियरिंग कॉलेज को तकनीकी विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया गया था। इसके बाद यहां पर बड़ी लाइब्रेरी कम कंप्यूटर सेंटर भवन व कन्वेंशन सेंटर की जरूरत महसूस हुई। वर्ष 2008 में विवि ने यह काम एचएसआरडीसी व दिल्ली के एक कांट्रेक्टर को सौंप दिया था।
यह दिया जवाब
जांच रिपोर्ट के जवाब में विवि की ओर से लिखा गया है विवि भवनों के निर्माण के लिए जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने इसकी जिम्मेदारी एचएसआरडीसी व कांट्रेक्टर भार्गव को सौंप दी थी। इन भवनों के निर्माण में लापरवाही के चलते विवि की ओर से संबंधित एजेंसी पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा का जुर्माना भी लगा चुकी है। यही नहीं, एचएसआरडीसी ने आज तक भी ये भवन विवि को हैंडओवर नहीं किए हैं। इन भवनों में आज भी अनेक कमियां हैं, जिन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है।
”इस निर्माण कार्य में विवि की कोई जिम्मेदारी नहीं है। क्योंकि एमओयू के अनुसार सारी जिम्मेदारी एचएस आरडीसी को देकर उन्हें पेमेंट भी कर दी गई थी।” -आरडी कौशिक, रजिस्ट्रार