नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 4 अक्तूबर
वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव व इसके खतरे से अलर्ट के लिए नगर निगम ने दोनों हाथों से खुलकर सरकारी खजाने को लुटाया। निगम अधिकारियों ने सत्तासीन भाजपा नेताओं को खुश करने के लिए उनकी ‘चहेती’ कंपनियों से 22 लाख रुपए कीमत के तीन ऑटोमेटिक कैमरे खरीद डाले। लाखों रुपए खर्च करके लगाए ये कैमरे अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव की पहचान नहीं कर सके। फिलहाल निगम के 24 से अधिकारी व कर्मचारी संक्रमण की चपेट में हैं।
नगर निगम के सेक्टर 39 स्थित कार्यालय परिसर में मेडिकल लैब सहित दूसरी सुविधाओं का संचालन करने वाली एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड से तीन थर्मल स्कैनर ऑटोमेटिक कैमरे खरीदे गए थे। निगम अधिकारियों ने दावा किया था कि ये कैमरे कोरोना संक्रमण पीड़ितों यानि सामान्य से अधिक तापमान वाले लोगों की पहचान करेंगी तथा उन्हें कार्यालय में दाखिल नहीं होने दिया जाएगा। तीन कैमरों की खरीद पर 22 लाख रुपए से अधिक खर्च किए गए और इनको ऑपरेट करने के लिए अलग से स्टाफ भी रखना पड़ा। हैरत की बात यह है कि कैमरे नगर निगम के तीन कार्यालयों (सेक्टर 34 स्थित मुख्यालय, सेक्टर 39 स्थित मेडिकल आफिसर कार्यालय व सेक्टर 42 स्थित ज्वाइंट कमिश्नर कार्यालय) में लगे हैं। जबकि सबसे अधिक पब्लिक डीलिंग वाले सदर बाजार के पास वाले कार्यालय में ऑटोमेटिक थर्मल स्केनिंग कैमरा नहीं लगाया गया। जब से ये कैमरे खरीदे गए हैं उसके बाद से निगम में 24 से अधिक लोग कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं। इसमें निगम कमिश्नर के पीए से लेकर एक्सईएन, एसडीओ, जेई व क्लेरिकल स्टाफ के सदस्य भी शामिल हैं। कैमरों के आपरेशन से जुड़े एक कर्मचारी ने नाम गुप्त रखने की गुजारिश के साथ बताया, ‘अभी तक एक भी कोरोना संक्रमित की पहचान इन कैमरों के कारण नहीं हो पाई। क्योंकि संक्रमित की पहचान का कोई मेकेनिज्म ही नहीं है।’ निगम मुख्यालय में जिस स्थान पर कैमरा रखा है उसके अलावा भी दफ्तर में दाखिल होने का रास्ता है। बड़ी संख्या में लोग निगम दफ्तर आने के लिए बेसमेंट से सीढ़ियों का प्रयोग करते हैं। ऐसे में कैमरा उनकी स्केनिंग नहीं कर पाता।
विपक्ष ने भी उठाये सवाल
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता राजेश यादव का कहना हैं, ‘सदर बाजार के पास वाले कार्यालय में बैठने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों को संक्रमण का खतरा नहीं है जो सिर्फ तीन ही कार्यालयों में कैमरे लगाए गए, यदि ये कैमरे संक्रमितों की पहचान कर सकते हैं तो चौथा कैमरा क्यों नहीं खरीदा।’ वह कहते हैं कि एक भाजपा नेता की सिफारिश के कारण लोगों की गाढ़ी कमाई के 22 लाख रुपए चहेती कंपनी को उपहार स्वरूप दिए गए हैं। इसी तरह मोहित ग्रोवर सवाल उठाते हैं कि जब तापमान की जांच 650 रुपए कीमत वाले थर्मल स्केनर से की जा सकती है तो इसके लिए 22 लाख रुपए खर्च करने किसको लाभ पहुंचाने के लिए खर्चे।
“स्वास्थ्य विभाग की अधिकृत एजेंसी के मार्फत ऑटोमेटिक थर्मल स्केनिंग कैमरों की खरीदी की गई है। ये एक बार में दो या दो से अधिक लोगों की कांटेक्टलैस थर्मल स्कैनिंग कर उनकी पहचान कर सकते हैं। इनकी खरीद में सीएमओ कार्यालय की कोई भूमिका नहीं है।”
-आशीष सिंगला, सीएमओ-नगर निगम