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हरियाणा में सहकारिता आंदोलन को मिलेगी नई उड़ान

राज्य बनाएगा अपनी व्यापक सहकारिता नीति
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मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की फाइल फोटो।
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हरियाणा का सहकारिता आंदोलन अब एक नई राह पकड़ने जा रहा है। राज्य सरकार ने अपनी व्यापक राज्य सहकारिता नीति तैयार करने का निर्णय लिया है, जो सहकारी समितियों के आधुनिकीकरण और विस्तार का रोडमैप बनेगी। इसी के साथ एक और बड़ा कदम उठाते हुए रोहतक स्थित सहकारी प्रबंधन केंद्र को गुजरात की त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी से संबद्ध करने की योजना को भी हरी झंडी दी गई है।

यह पहल न केवल शिक्षा और प्रशिक्षण को मज़बूती देगी बल्कि हरियाणा को सहकारिता शिक्षा का राष्ट्रीय हब बनाने की दिशा में अहम साबित होगी। सोमवार को चंडीगढ़ में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में आयोजित राज्य सहकारी विकास समिति (एससीडीसी) की बैठक में इन फैसलों पर सहमति बनी।

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सहकारिता विभाग का मानना है कि त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से संबद्धता के बाद रोहतक का सहकारी प्रबंधन केंद्र संस्थागत प्रशिक्षण, शोध और क्षमता निर्माण का बड़ा केंद्र बन जाएगा। सहकारी संस्थाओं के पदाधिकारी और सदस्य आधुनिक प्रबंधन तकनीकों, वित्तीय अनुशासन और नवीनतम प्रथाओं से लैस हो पाएंगे। इससे प्रदेश का सहकारी ढांचा सिर्फ परंपरागत खेती–ऋण तक सीमित न रहकर शिक्षा और ज्ञान आधारित विकास का मॉडल बन सकेगा।

एक सप्ताह में बनेगी मसौदा समिति

बैठक में निर्णय लिया कि राज्य सहकारिता नीति का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति एक सप्ताह के भीतर गठित होगी। यह नीति अन्य राज्यों के सफल अनुभवों से प्रेरणा लेकर हरियाणा की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी। इसका मकसद सहकारी समितियों को ग्रामीण विकास, ऋण, आवास, स्वास्थ्य और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में नई भूमिका देना है।

पैक्स में डिजिटल क्रांति

मुख्य सचिव ने कहा कि हरियाणा, देशभर में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के डिजिटलीकरण में अग्रणी बनकर उभरा है। अब तक 518 पैक्स ने कॉप्स-इंडिया पोर्टल पर डे-एंड प्रक्रियाएं सफलतापूर्वक पूरी कर ली हैं। 39 पैक्स डायनामिक डे-एंड सिस्टम के तहत काम कर रही हैं, जो वास्तविक समय में रिपोर्टिंग और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। 338 पैक्स ई-पैक्स मोड में बदली जा चुकी हैं और 57 समितियों ने वित्त वर्ष 2024-25 का ऑनलाइन ऑडिट पूरा कर लिया है।

477 नई पैक्स की तैयारी

सहकारी समितियां, हरियाणा के रजिस्ट्रार राजेश जोगपाल ने बताया कि सरकार का लक्ष्य 2028-29 तक 477 नई बहुउद्देशीय सहकारी समितियां (एम-पैक्स) और 583 डेयरी सहकारी समितियां (डीसीएस) स्थापित करना है। इस वित्त वर्ष में ही 25 नई समितियों का गठन हुआ है और 22 एम-पैक्स ने ₹31.57 करोड़ का ऋण वितरित कर किसानों को सीधा लाभ दिया है। यह विस्तार योजना किसानों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगी और सहकारी ढांचे को और व्यापक बनाएगी।

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